आलिया भट्ट की न्यूट्रिशनिस्ट का खुलासा: वो “स्वस्थ” मानी जाने वाली मिठास असल में है सिर्फ शुगर वॉटर
- byAman Prajapat
- 27 October, 2025
बहुत दिनों से हम सुनते आए हैं कि “फल हेल्दी हैं”, और “फल का जूस सेहत का दोस्त है” — लेकिन भाई, यहाँ हमें सचाई देखनी होगी। हाल ही में बॉलीवुड की चमक-दमक में मशहूर एक्ट्रेस Alia Bhatt की न्यूट्रिशनिस्ट Dr. Siddhant Bhargava ने हमें वो सच दिखाया है जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं: फल का जूस, सिर्फ शुगर वॉटर बन जाता है जब उसमें फाइबर और अन्य प्राकृतिक घटक नहीं रहते।
क्या कहा न्यूट्रिशनिस्ट ने
Dr. Bhargava के अनुसार, “फल स्वस्थ हैं, लेकिन जब उनकी फाइबर (रेशा) और अन्य खनिज-विटामिन हट जाते हैं, तो जूस कुछ नहीं बल्कि शुगर वॉटर हो जाता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि फल में मौजूद फाइबर इंसुलिन स्पाइक को रोकने का काम करती है — यानी शुगर को अचानक खून में जाने नहीं देती। लेकिन जूस में फाइबर नहीं होती या बहुत कम होती है, तो वही शुगर सीधे bloodstream में जाती है।
“जब फल को जूस में बदला जाता है, तो फाइबर निकल जाती है, विटामिन-खनिज और भी कम हो जाते हैं, और अंत में बचता है — रंगीन शुगर वॉटर” — ऐसा उनका कहना है।
अब क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण
हमारी पारंपरिक खान-पान की सोच कहती है — फल लें, जूस लें, स्वस्थ रहने का रास्ता। लेकिन यहाँ अब विकल्प सामने आ रहा है — whole fruit और fruit juice दोनों एक-समान नहीं हैं।
जब हम फल को पूरी तरह खाते हैं, तो हमें फाइबर मिलती है, जो पाचन को बेहतर करती है, शुगर को धीरे-धीरे सोखने में मदद करती है।
लेकिन जूस में यह फाइबर नहीं रहती, इसलिए शुगर तेजी से बढ़ जाती है, जिससे इंसुलिन बढ़ सकती है, वजन बढ़ सकता है, डायबिटीज़ का खतरा बढ़ सकता है।
इसके अलावा, मार्केट में मौजूद पैकेज्ड जूस या “हेल्दी ड्रिंक्स” में अक्सर और भी मिलावट, अतिरिक्त शुगर, रंग और प्रसंस्करण की वजह से विटामिन-खनिज कम होते हैं। Dr. Bhargava इसे सीधे कह रहे हैं: “बहुत से लोग सोचते हैं जूस लेना सेहतमंद है — असल में यह धोखा है।”
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क्या करें — सुझाव
तो पारंपरिक तरीके से बात करें तो:
जितना हो सके whole fruits खाइए — मौसमी फल, ताज़ा, छिलका या बिना छिलके जैसा प्राकृतिक रूप।
जूस अगर पीना ही है, तो थोड़ा-बहुत खुद घर में बनाइए, बिना बहुत शुगर या मिलावट के, और फ़ाइबर के साथ प्रयोग करें— उदाहरण के लिए फल काट कर, थोड़ा पानी मिलाकर स्मूदी जैसा।
पैकेज्ड जूस से दूरी बनाए रखें — जितना संभव हो, “100 % जूस” लिखे लेबल पर भरोसा न करें कि यह सुरक्षित है।
अगर आपको डायबिटीज़, मोटापा या इंसुलिन-संवेदनशीलता (insulin sensitivity) की समस्या है, तो विशेष रूप से ध्यान दें — क्योंकि शुगर-वॉटर के सेवन से जोखिम बढ़ सकता है।
स्वस्थ रहने का मूल मन्त्र है — “खाओ वो जो प्रकृति ने दिया, जूस-प्रोसेस कम करो”।
निष्कर्ष
दोस्तों, हम नए जमाने में हैं, लेकिन पुराने जमाने का सच आज भी वैसा ही काम करता है — प्राकृतिक रूप में लिया गया भोजन बेहतर है, प्रोसेस्ड कम-से-कम। हम नहीं कह रहे कि जूस पूरी तरह बुरा है, पर वह जितना सेहत-प्रद दिखता है, उतना नहीं है जितना दिखता है। Dr. Bhargava ने जो चेतावनी दी है — “फल का जूस शुगर वॉटर बन जाता है” — उसे नजरअंदाज न करें। अगली बार जब आप जूस उठा रहे हों, बस एक सवाल पूछिए: “क्या इसमें वही फाइबर-विटामिन हैं जो पूरे फल में थे?” अगर नहीं — तो बेहतर होगा पूरा फल चबा लेना।
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देखिए सुष्मिता सेन...
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