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तेजस्वी यादव ने किया धमाकेदार वादा: अगर Tejashwi Yadav की सरकार बनी तो हर बिहार परिवार को 20 दिन में सरकारी नौकरी का कानून

तेजस्वी यादव ने किया धमाकेदार वादा: अगर Tejashwi Yadav की सरकार बनी तो हर बिहार परिवार को 20 दिन में सरकारी नौकरी का कानून

यह वादा निश्चित ही ऊँचा है, दोस्त। जब तेजस्वी यादव ने कहा, “अगर हमारी सरकार बनेगी तो हर उस बिहार परिवार को जिसमें अभी तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं है, उसमें से किसी एक को हम नौकरी दिलाएंगे”, तो राजनीति की धड़कन तेज हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि नया कानून 20 दिन के भीतर लाएँगे और 20 महीनों (20 महीने) के अंदर इसे लागू कर देंगे।

क्या कहा गया है

तेजस्वी ने कहा कि जिस परिवार को सरकारी नौकरी नहीं मिली है, उसे प्राथमिकता मिलेगी। 

उन्होंने वादा किया कि सरकार बनने के 20 दिन अंदर “नौकरी गारंटी कानून” प्रस्तावित होगा। 

20 महीनों में पूरे बिहार में यह लागू होगा — मतलब हर परिवार को एक सरकारी नौकरी। 

साथ में, उन्होंने अन्य घोषणाएँ भी कीं जैसे कि Jeevika Didi Scheme के तहत काम करने वालों को स्थायी करने का वादा।

वास्तविकता-परख

भाई, इसमें दम तो है पर क़रीब से देखो तो समस्याएँ भी हैं:

बिहार में कुल परिवारों की संख्या ≈ 2.76 करोड़ बताई गई है। 

अगर हर परिवार को नौकरी मिलेगी, तो इतनी बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियाँ देना होगा — यह आसान काम नहीं लगता। 

विरोधियों ने इसे “असंभव”, “चुनावी ज़रूरत” वाला वादा कहा है।

कोई संवैधानिक “नौकरी देने का अधिकार” (right to job) अभी सीधे तौर पर नहीं है, इसलिए कानून बनाने-व्यवस्था तय करना आसान नहीं।

पृष्ठभूमि और क्यों उठाया गया यह मुद्दा

बिहार में बेरोज़गारी, पलायन, युवा-उम्र का दबाव पिछले सालों से बहुत बढ़ा है। तेजस्वी यादव ने इस विषय को अपनी राजनीतिक रणनीति का केंद्र बनाया है। 
उनका कहना है कि पिछले 20 साल में सरकार ने बेरोज़गारी पर पर्याप्त काम नहीं किया।

Ahead of Bihar election, Tejashwi Yadav makes big promise: 'Will ensure  every family has a govt job'

चुनौतियाँ और सवाल

इतने बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित होगी — वित्तीय बोझ, प्रशासनिक क्षमता, और वास्तविक संसाधनों का प्रश्न है।

ऐसा कानून बनाना कि हर‐परिवार को नौकरी मिले — इसमें “परिवार” की परिभाषा, पात्रता, चयन प्रक्रिया आदि बेहद जटिल होंगे।

अगर ये वादा पूरा नहीं हुआ, तो उसकी राजनीतिक कीमत क्या होगी — जनता का भरोसा टूट सकता है।

इसके अलावा, इस तरह की नीति के अन्य राज्य-स्तर और राष्ट्रीय कानूनों व संविधानों के साथ क्या तालमेल होगा, यह भी विचारणीय है।

कहानी का सार

तेजस्वी यादव का यह वादा बहुत बोल्ड है, सुनने में दिल खुश कर देने वाला भी है: “हर घर को खिड़की से नहीं, दरवाज़े से नौकरी मिलेगी।” लेकिन ज़मीन पर उतरने में आसान नहीं।
उनकी बोली-बोन (style) युवाओं को आकर्षित करती है — “हमारा बिहार, हमारी नौकरी” का जोश है। लेकिन जैसे पुरानी बातें कहती हैं — “बड़े वादे करने से पहले धरती देख लेनी चाहिए।”
अगर यह वादा पूरा हुआ, तो इतिहास में दर्ज हो जाएगा। अगर नहीं हुआ, तो वोट बैंक के लिए घातक भी साबित हो सकता है।


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