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जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी बैठक शुरू, देशभर में हिंदू सम्मेलन होंगे केंद्र में

जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी बैठक शुरू, देशभर में हिंदू सम्मेलन होंगे केंद्र में

जब जबलपुर की हवा में आयोजन-उत्साह मिल रहा था, उसी बीच Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) ने अपने राष्ट्रीय-कार्यकारिणी (अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल) की तीन-दिनी बैठक की शुरुआत कर दी है। यह आयोजन मध्य प्रदेश के जबलपुर-विजय नगर के कचनार सिटी परिसर में हुआ है।  बैठक का मुख्य लक्ष्य है— देशव्यापी हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन, गृह-संपर्क अभियान (यहां तक कि घर-घर सम्पर्क) और संगठन की शताब्दी वर्ष सक्रियताओं की समीक्षा करना। 

बैठक का माहौल एवं आयोजन

बैठक के पहले दिन ही जबलपुर में एक विशिष्ट माहौल था— देश के विभिन्न प्रांतों से आए 407 प्रतिनिधि, जिनमें ‘संग्‍ चालक’, ‘क Aryव् ह’, ‘प्रचारक’ और अन्य कार्यकर्ता शामिल हैं, उपस्थित थे। मुख्य वक्ताओं में शामिल थे संगठन के प्रमुख Mohan Bhagwat तथा महासचिव Dattatreya Hosabale। 

बैठक के एजेंडे में इन प्रमुख विषयों पर विचार-चर्चा की जाने वाली है:

देशभर में हिन्दू सम्मेलनों (Hindu Sammelans) की तैयारी और उनका संचालन। 

गृह-संपर्क अभियान, अर्थात् घर-घर संपर्क कर जनता से संवाद, संगठन की नीतियों व सामाजिक पहलों की जानकारी देना। 

संगठन के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ‘पंच-परिवर्तन’ नामक सामाजिक परिवर्तन मॉडल पर कार्य करना— जिसमें स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पारिवारिक मूल्य, पारिस्थितिक संरक्षण और सामाजिक प्रतिरूप (सामाजिक भागीदारी) शामिल हैं। 

प्रांतीय इकाइयों द्वारा अब तक की तैयारियों की समीक्षा व अगले चरण की रूपरेखा तैयार करना।

रणनीति-मूलक बातें

इस बैठक में रणनीति-मूलक बातें भी सामने आई हैं। गृह-संपर्क अभियान लगभग 25-40 दिनों तक चलेगा, जिसमें संगठक-कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे, लोगों से संवाद करेंगे और सामाजिक मिशनों को जनता तक पहुंचाएंगे। हिन्दू सम्मेलनों की संख्या बहुत बड़ी है— बताया गया है कि एक लाख से अधिक सम्मेलनों का आयोजन देशभर में किया जाना है।

बैठक में यह भी तय होगा कि किन-किन प्रांतों में विशेष युवाओं-प्रेरणा कार्यक्रम, नागरिक गोष्ठियाँ तथा संस्थागत स्तर पर वक्तृत्व सत्र होंगे। ऐसे कार्यक्रमों को संवादात्मक रूप से तैयार किया जा रहा है ताकि स्थानीय-स्तर पर मजबूत आधार बने। 

विषयगत विमर्श और सामाजिक आयाम

बैठक का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक-राष्ट्रीय विमर्श को समर्पित है। इसमें उन ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों को याद किया गया है जिनका संगठन कार्य करता रहा है। उदाहरण के लिए:

Guru Tegh Bahadur की 350वीं पुण्यतिथि तथा Birsa Munda की 150वीं जयंती मामलों पर विशेष कार्यक्रम। 

आधुनिक-युग की चुनौतियों पर विचार: सामाजिक समरसता, पर्यावरण-सुरक्षा, नागरिक भागीदारी एवं पारिवारिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना।

संगठन के भीतर और बाहर निरंतर संवाद की आवश्यकता: युवा-कर्मकारियों की भूमिका, स्थानीय-शाखाओं का सुदृढ़ीकरण और सामाजिक कार्यों का विस्तार।

जबलपुर का महत्व

बैठक के लिए जबलपुर का चयन सिर्फ स्थानीकरण का मामला नहीं है — यह प्रतीकात्मक रूप से कहें तो मध्य भारत के एक ऐसे केंद्र में संगठन के लिए नया प्रसार आरम्भ करने का संकेत है। इसके अलावा यह बताया गया है कि लगभग 41 वर्ष बाद ऐसा आयोजन इसी शहर में हो रहा है। 

Inside the RSS, the world's most powerful volunteer group

आगे क्या होगा?

बैठक तीन दिनों तक चलेगी, जिसे 30 अक्टूबर से 1 नवंबर (या 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक) तक माना जा रहा है। बैठक के समापन में एक रूप-रेखा (रोडमैप) तैयार होगा, जिसे अगले 12 – 18 महीनों में लागू किया जाना है। इसके अंतर्गत:

स्थानीय-हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन (बस्ती-स्तर, मंडल-स्तर)।

घर-घर संपर्क अभियान सक्रियता।

युवाओं के लिए विशेष प्रेरक कार्यक्रम एवं नागरिक भागीदारी-प्रशिक्षण।

प्रत्येक प्रांत द्वारा शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करना।

स्थाई सामाजिक-संस्कृतिक मॉडल को मजबूत करना, जिससे स्थान-स्तर पर संगठन-सक्रियता बढ़ सके।

टिप्पणी एवं विश्लेषण

देखिए, सच तो यह है कि जब किसी संगठन के लिए इतनी लंबी तैयारी और व्यापक रणनीति तैयार हो रही हो, तो उसके सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं होंगी —

देश-भर में विविध-प्रांतों में स्थानीय स्तर पर काम करना आसान नहीं होता, वहाँ की सामाजिक-संस्कृति, स्थानीय संगठन-शाखाओं की क्षमता, संसाधन उपलब्धता इन सबको ध्यान में रखना पड़ेगा।

यह भी देखा जाएगा कि प्रस्तावित हिन्दू सम्मेलनों व गृह-संपर्क अभियानों का प्रभाव कितना वास्तविक-स्तर पर दिखता है — सिर्फ योजनाएं बनाना आसान है, उन्हें जमीन-स्तर पर उतारना मुश्किल।

इसके साथ ही समय-चालित लक्ष्य (जैसे शताब्दी वर्ष तक कितनी इकाइयाँ सक्रिय होंगी, कितने लोगों तक पहुंच होगी) तय करना महत्वपूर्ण होगा।

और अंततः: सामाजिक-सहमति, विविधता-स्वीकार और सामुदायिक समरसता के मामलों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता — क्योंकि हर समुदाय, हर क्षेत्र अलग है।

निष्कर्ष

तो, यह तीन-दिनी बैठक सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं — एक रणनीतिक मोड़ है, जहाँ RSS अपनी अगली पीढ़ी की दिशा तय कर रही है। हिन्दू सम्मेलनों, गृह-संपर्क अभियानों और सामाजिक-परिवर्तन की ‘पंच-परिवर्तन’ योजना उनकी अहम प्राथमिकताओं में शामिल हैं। जबलपुर में यह आयोजन इसलिए भी अहम है क्योंकि इसे केंद्र-मध्य भारत में स्थित एक रणनीतिक स्थान के रूप में देखा जा रहा है।


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