विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कमजोर वैश्विक संकेतों से शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार फिसला
- byAman Prajapat
- 15 December, 2025
सुबह की पहली घंटी बजी, स्क्रीन जली, और बाजार ने सीधे-सपाट संदेश दे दिया—आज माहौल भारी है। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और दुनिया भर के बाजारों से आ रही ठंडी हवाओं ने घरेलू शेयर बाजार की चाल को धीमा कर दिया। सेंसेक्स और निफ्टी, दोनों ही शुरुआती कारोबार में लाल निशान के साथ खुले, मानो कल की उम्मीदें आज की हकीकत से टकरा गई हों।
पुराने ज़माने के कारोबारी कहते हैं—बाजार भावनाओं से चलता है। आज वही भावनाएं डगमगाईं। विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी ने लिक्विडिटी पर चोट की, और कमजोर वैश्विक संकेतों ने जोखिम लेने की भूख कम कर दी। एशियाई बाजारों में सुस्ती, अमेरिकी वायदा बाजारों की नरमी, और वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता—सब कुछ मिलकर घरेलू निवेशकों की नब्ज पर असर डालता दिखा।
बैंकिंग और आईटी शेयरों में दबाव साफ दिखा। बड़े निजी बैंकों के शेयर फिसले, क्योंकि ब्याज दरों और वैश्विक मांग को लेकर आशंकाएं बनी रहीं। आईटी सेक्टर में भी मुनाफावसूली दिखी—विदेशी ऑर्डर बुक और मुद्रा उतार-चढ़ाव की चिंता ने निवेशकों को सतर्क कर दिया। ऑटो और मेटल शेयरों में मिला-जुला रुख रहा, जबकि एफएमसीजी ने कुछ हद तक सहारा दिया, लेकिन वह भी गिरावट की धार को पूरी तरह थाम न सका।
विदेशी फंड आउटफ्लो कोई नई कहानी नहीं है, पर इसका समय मायने रखता है। जब वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचने का माहौल बनता है, तो उभरते बाजार सबसे पहले चोट खाते हैं। डॉलर की मजबूती, बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव, और भू-राजनीतिक तनाव—ये सब विदेशी निवेशकों के फैसलों में वजन डालते हैं। नतीजा—घरेलू बाजार पर दबाव।
रिटेल निवेशकों के लिए संदेश सीधा है: जल्दबाजी नुकसान कराती है। बाजार की चाल में शोर बहुत है, पर दिशा धैर्य से पकड़ी जाती है। पुराने खिलाड़ी जानते हैं—गिरावट में भी मौके छिपे होते हैं, बस नजर चाहिए। मजबूत बुनियादी कंपनियां, संतुलित पोर्टफोलियो, और लंबी अवधि का नजरिया—यही वो मंत्र हैं जो हर दौर में काम आते हैं।

वैश्विक मोर्चे पर नजर डालें तो तस्वीर अभी साफ नहीं। महंगाई के आंकड़े, केंद्रीय बैंकों की नीतियां, और आर्थिक विकास के संकेत—सब आने वाले सत्रों में बाजार की दिशा तय करेंगे। तब तक अस्थिरता बनी रह सकती है। आज का दिन उसी अस्थिरता की याद दिलाता है—कि बाजार हमेशा सीधी रेखा में नहीं चलता।
दिन के कारोबार में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है। निवेशक आंकड़ों और वैश्विक संकेतों पर पैनी नजर रखे हुए हैं। कुछ सेक्टरों में चुनिंदा खरीदारी दिख सकती है, लेकिन समग्र रुख सतर्कता का ही रहेगा। यह वक्त शोर से दूर रहकर रणनीति पर टिके रहने का है।
अंत में, सच यही है—बाजार भावनाओं का आईना है। आज आईने में चिंता दिखी, कल उम्मीद भी दिख सकती है। जो इतिहास से सीखता है, वही बाजार में टिकता है। बाकी सब शोर है—और शोर में फैसले अक्सर महंगे पड़ते हैं।
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