शुरुआती कारोबार में रुपया 12 पैसे मजबूत, डॉलर के मुकाबले 89.51 पर पहुंचा
- byAman Prajapat
- 24 December, 2025
सुबह का वक्त था, बाजार अभी पूरी तरह जागा भी नहीं था, लेकिन विदेशी मुद्रा बाजार में हलचल शुरू हो चुकी थी। जैसे ही कारोबार की घंटी बजी, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे की मजबूती के साथ 89.51 के स्तर पर खुला। ये कोई छोटी खबर नहीं है—ये उस भरोसे की झलक है जो बाजार कभी-कभी भारत की अर्थव्यवस्था पर दिखाता है।
पिछले कुछ सत्रों से रुपया दबाव में था। डॉलर मजबूत था, कच्चे तेल की कीमतें ऊपर-नीचे हो रही थीं और वैश्विक अनिश्चितता हवा में तैर रही थी। लेकिन आज सुबह का नज़ारा थोड़ा अलग था। रुपया जैसे कह रहा हो—
“मैं अभी टूटा नहीं हूं।”
📊 मजबूती के पीछे की बड़ी वजहें
सबसे पहली वजह रही डॉलर इंडेक्स में हल्की कमजोरी। अमेरिकी मुद्रा की चाल जैसे ही धीमी पड़ी, उभरते बाजारों की मुद्राओं को सांस लेने का मौका मिला। रुपया भी उसी हवा में थोड़ा ऊपर उठा।
दूसरी अहम वजह रही विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की सीमित लेकिन सकारात्मक गतिविधि। भले ही ये भारी निवेश न हो, लेकिन बाजार में संकेत साफ था—पैसा पूरी तरह बाहर नहीं जा रहा।
तीसरा फैक्टर रहा कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता। भारत जैसे आयात-निर्भर देश के लिए तेल की कीमतें सीधे रुपये की नस पकड़ लेती हैं। आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल ज्यादा उछलता नहीं दिखा, और यही रुपये के लिए राहत बना।
🏦 RBI की भूमिका: पर्दे के पीछे का खिलाड़ी
भारतीय रिजर्व बैंक हमेशा खुलकर सामने नहीं आता, लेकिन उसकी मौजूदगी बाजार महसूस करता है। ट्रेडर्स का मानना है कि RBI ने अस्थिरता को काबू में रखने के लिए ज़रूरत पड़ने पर हस्तक्षेप के संकेत दिए हैं।
सीधी बात—RBI ने बाजार को ये एहसास करा दिया कि रुपया पूरी तरह बेसहारा नहीं है।
🌍 वैश्विक संकेत और उनका असर
अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। फेडरल रिजर्व के अगले कदम पर पूरी दुनिया की नज़र है। जैसे-जैसे ये अनिश्चितता बढ़ती है, डॉलर की चाल में उतार-चढ़ाव आता है—और वहीं से रुपये को मौका मिलता है।
एशियाई बाजारों की बात करें तो ज्यादातर मुद्राएं सीमित दायरे में रहीं। कोई बड़ा धमाका नहीं, कोई बड़ी गिरावट नहीं। यही संतुलन रुपये के पक्ष में गया।
📉 क्या ये मजबूती टिकेगी? कड़वा सच
अब बिना मीठा बोले सच सुन लो—
12 पैसे की बढ़त कोई क्रांति नहीं है।
ये बस एक राहत की सांस है, स्थायी जीत नहीं।
जब तक:
भारत का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) काबू में नहीं आता
कच्चे तेल की कीमतें पूरी तरह शांत नहीं होतीं
और वैश्विक ब्याज दरों का खेल साफ नहीं होता
तब तक रुपये की चाल लहरों जैसी ही रहेगी—कभी ऊपर, कभी नीचे।

💬 बाजार विशेषज्ञ क्या कहते हैं
फॉरेक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपया फिलहाल 89.30–89.80 के दायरे में घूम सकता है। अगर विदेशी निवेश बढ़ता है और वैश्विक संकेत साथ देते हैं, तो रुपया और मजबूत हो सकता है।
लेकिन अगर हालात पलटे, तो गिरावट भी उतनी ही तेजी से आएगी।
🧠 आम आदमी के लिए इसका मतलब क्या?
अगर तुम:
आयात से जुड़े बिज़नेस में हो → थोड़ी राहत
विदेश में पढ़ाई या भुगतान करने वाले हो → खर्च में मामूली कमी
निवेशक हो → सतर्क रहो, भावनाओं में मत बहो
रुपये की ये मजबूती अच्छी खबर है, लेकिन जश्न मनाने लायक नहीं।
🕰️ इतिहास की सीख
भारतीय रुपया हमेशा से संघर्ष करता आया है—कभी युद्धों से, कभी तेल संकट से, कभी वैश्विक मंदी से। लेकिन हर बार संभलता भी रहा है। यही इसकी असली ताकत है।
धीमी चाल, लेकिन ज़िद्दी कदम।
✍️ निष्कर्ष
शुरुआती कारोबार में रुपये का 12 पैसे चढ़ना एक सकारात्मक संकेत जरूर है, लेकिन लंबी दौड़ अभी बाकी है। बाजार भावनाओं से चलता है, लेकिन टिकता तथ्यों पर है।
आज का दिन राहत लेकर आया है—कल क्या होगा, ये वैश्विक हवा तय करेगी।
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