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परमाणु बम तो बहाना है, ट्रंप का असली मकसद ईरान का 'छिपा खजाना' हथियाना है

परमाणु बम तो बहाना है, ट्रंप का असली मकसद ईरान का 'छिपा खजाना' हथियाना है

वॉशिंगटन/तेहरान, जून 2025 — जब पूरी दुनिया गहरी नींद में थी, व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (पूर्व राष्ट्रपति, जो अब फिर से सुर्खियों में हैं) ईरान के खिलाफ एक ऐसे निर्णय पर हस्ताक्षर कर रहे थे, जो मध्य-पूर्व में नया भूचाल ला सकता है। अमेरिकी ड्रोन हमलों और साइबर स्ट्राइक से ईरान में तनाव चरम पर पहुंच गया है, लेकिन सवाल ये है: क्या ये हमला सिर्फ परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए था, या मामला कुछ और है?

💣 ‘परमाणु कार्यक्रम’ तो एक पर्दा है?

ईरान लंबे समय से अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी देशों के निशाने पर रहा है। अमेरिका का यह दावा रहा है कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें, तो इस बार हमला सिर्फ रिएक्टरों पर नहीं, बल्कि ईरान के भूगर्भीय खजाने — विशेष रूप से तेल और दुर्लभ खनिज संसाधनों पर कब्जे की मंशा से किया गया है।

🛢️ असली निशाना: ईरान का ‘खजाना’

ईरान दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल भंडारों में से एक है — दक्षिण पार्स गैस फील्ड, अहवाज़ ऑइल ज़ोन, और कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें दुर्लभ अर्थ खनिज (rare earth minerals) भी पाए जाते हैं। ये खनिज आधुनिक टेक्नोलॉजी, AI, और हथियारों में अनिवार्य होते हैं।

विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका का असली एजेंडा है:

खनिज संसाधनों पर नियंत्रण

चीन और रूस को इन संसाधनों से वंचित करना

इजरायल को सुरक्षा गारंटी देना

विशेषज्ञों की मानें, तो इस बार हमला सिर्फ रिएक्टरों पर नहीं, बल्कि ईरान के भूगर्भीय खजाने — विशेष रूप से तेल और दुर्लभ खनिज संसाधनों पर कब्जे की मंशा से किया गया है।

🇮🇱 अमेरिका-इजरायल गठजोड़ और वैश्विक चिंता

इस बीच ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इजरायल ने पहले ही ईरानी ठिकानों पर निशाना साधा था, जिसके जवाब में ईरान ने मिसाइल दागे। अब अमेरिका की सीधी सैन्य एंट्री ने वैश्विक शक्तियों — रूस, चीन, यूरोप — की चिंता बढ़ा दी है। भारत ने भी "संयम" की अपील की है।

🧭 ट्रंप की रणनीति: युद्ध से चुनाव तक

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हस्तक्षेप ट्रंप की घरेलू राजनीति से भी जुड़ा हो सकता है:

2024 चुनावों में वापसी के बाद ट्रंप अपनी छवि को फिर "strong leader" के रूप में गढ़ रहे हैं।

एक "तेज और निर्णायक सैन्य कार्रवाई" उनके वोटबैंक को मजबूत कर सकती है।

🌍 निष्कर्ष: क्या यह सिर्फ ईरान बनाम अमेरिका है?

नहीं। यह संघर्ष सिर्फ दो देशों के बीच नहीं, बल्कि तेल, खनिज, सामरिक वर्चस्व और वैश्विक प्रभाव क्षेत्र के लिए हो रही प्रतिस्पर्धा है।

जहां एक ओर आम जनता को "परमाणु खतरे" का डर दिखाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर परदे के पीछे एक आर्थिक और सामरिक युद्ध छेड़ा जा चुका है।


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