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भारत ने ट्रंप का कश्मीर मध्यस्थता प्रस्ताव ठुकराया, पाकिस्तान को बराबरी पर रखना गलत: भारत का कड़ा संदेश

भारत ने ट्रंप का कश्मीर मध्यस्थता प्रस्ताव ठुकराया, पाकिस्तान को बराबरी पर रखना गलत: भारत का कड़ा संदेश

📰 भारत ने ट्रंप का कश्मीर मध्यस्थता प्रस्ताव ठुकराया, पाकिस्तान को बराबरी पर रखना बताया

 भारत का दो-टूक जवाब: कश्मीर हमारा है, पाकिस्तान को बराबरी पर रखना बंद करें

📅 दिनांक: 12 मई 2025

🇮🇳 भारत का दो-टूक जवाब: कश्मीर हमारा है, पाकिस्तान को बराबरी पर रखना बंद करें

भारत ने एक बार फिर कड़े और स्पष्ट शब्दों में दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इस पर किसी भी तीसरे पक्ष, चाहे वह अमेरिका ही क्यों न हो, की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए कश्मीर पर मध्यस्थता प्रस्ताव को भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है।

🗣️ विदेश मंत्रालय का बयान:

“कश्मीर भारत का आंतरिक विषय है। भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे केवल द्विपक्षीय रूप से सुलझाए जाएंगे। तीसरे पक्ष की कोई आवश्यकता नहीं।”

भारत ने ट्रंप प्रशासन को स्पष्ट रूप से यह भी बताया कि पाकिस्तान को भारत के बराबर खड़ा करना पूर्ण रूप से अनुचित है, क्योंकि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है और सीमा पर अशांति फैला रहा है।

🔥 भारत का सुझाव: "पाकिस्तान पर बात करें, कश्मीर पर नहीं"

भारत सरकार का मानना है कि यदि अमेरिका को क्षेत्र में स्थायी शांति में कोई भूमिका निभानी है, तो वह पाकिस्तान पर दबाव बनाए कि वह आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे। कश्मीर पर टिप्पणी करने या मध्यस्थता की पेशकश करने की बजाय, अमेरिका को अपने प्रयास पाकिस्तान को नियंत्रित करने में लगाने चाहिए।

📌 पृष्ठभूमि:

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे को हल कराने में मदद करना चाहते हैं और यदि भारत व पाकिस्तान चाहें तो वह "मध्यस्थ" की भूमिका निभा सकते हैं। इस पर भारत ने तुरंत कड़ा रुख अपनाया और पुरानी नीति दोहराई कि "कश्मीर पूरी तरह से भारत का हिस्सा है और इस पर कोई तीसरा पक्ष चर्चा नहीं कर सकता।"

🔍 विश्लेषण:

भारत की यह प्रतिक्रिया अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी संप्रभुता की स्पष्ट घोषणा है। यह बयान न केवल पाकिस्तान को संदेश देता है, बल्कि अमेरिका और अन्य देशों को भी चेतावनी है कि वे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचें

निष्कर्ष:

भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर पर कोई समझौता नहीं होगा, और पाकिस्तान को बराबरी पर देखना न केवल भ्रामक है, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक। यह भारत की दृढ़ कूटनीति और आतंकी प्रायोजन पर कठोर रुख को दर्शाता है।


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