
भारत में जल प्रदूषण एक गंभीर और तेजी से बढ़ती हुई समस्या है, जिससे न केवल पर्यावरण, बल्कि मानव जीवन भी गहरे रूप से प्रभावित हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार, देश के लगभग 70% सतही जल स्रोत जैसे कि नदियाँ, झीलें और तालाब उपयोग के लायक नहीं बचे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 70% पानी आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट जैसे खतरनाक प्रदूषकों से प्रभावित है।

प्रदूषित पानी से हर साल लाखों लोग बीमार पड़ते हैं, और 80 लाख से अधिक लोगों की असमय मृत्यु जलजनित बीमारियों के कारण होती है। इसके अलावा, जल प्रदूषण भारत की GDP को लगभग 3% तक नुकसान पहुँचाता है। दिल्ली की यमुना, गाज़ियाबाद की हिंडन और पुणे की इंद्रायणी जैसी प्रमुख नदियाँ गंभीर रूप से प्रदूषित हैं।
सरकार द्वारा नमामि गंगे योजना और जल जीवन मिशन जैसे बड़े प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शहरी सीवेज प्रबंधन, औद्योगिक अपशिष्ट नियंत्रण और जन जागरूकता में अभी भी भारी सुधार की आवश्यकता है। भारत में जल प्रदूषण को रोकने के लिए सभी स्तरों पर ठोस कार्रवाई और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
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"इको-फ्रेंडली इनोवेश...
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