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LIC कहती है – “पूरी तारीकी से जांच के बाद, स्वतंत्र रूप से निवेश किया गया है” Adani कंपनियों में

LIC कहती है – “पूरी तारीकी से जांच के बाद, स्वतंत्र रूप से निवेश किया गया है” Adani कंपनियों में

भारत की प्रमुख सार्वजनिक जीवन बीमा कंपनी, LIC (Life Insurance Corporation of India) ने हाल ही में एक बयान जारी किया है जिसमें उसने कहा है कि उसने Adani समूह (Adani Group) की कंपनियों में जो निवेश किए हैं, वे पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से और “विस्तृत जाँच (due diligence)” के बाद किए गए थे — अर्थात्, किसी सरकारी दबाव, निर्देश या पक्षपातपूर्ण इच्छानुसार नहीं।

यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें अमेरिकी अख़बार The Washington Post ने दावा किया था कि LIC को भारत की वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) द्वारा आड़े हाथ लिया गया था तथा Adani समूह में बड़े निवेश करने के लिए निर्देशित किया गया था। 

LIC ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि “यह दावा कि हमने इस तरह का निर्देश या प्रभाव स्वीकार किया है, पूरी तरह से आधारहीन, निराधार और सत्य से कोसों दूर है।” उसने यह भी दोहराया है कि उसके निवेश निर्णय नीतियों, आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों और नियामक दिशानिर्देशों (regulatory guidelines) के अनुरूप होते हैं, और उन्हें “नीति-धारकों (policyholders) के हितों को सर्वोपरि रखकर” किया जाता है। 

किन बिंदुओं की ओर ध्यान गया है:

रिपोर्ट के मुताबिक, Washington Post ने दावा किया कि LIC को लगभग US $3.9 बिलियन (~₹ लगभग) के निवेश के लिए निर्देश दिया गया था कि वह Adani समूह की कंपनियों में निवेश करे; LIC ने इसे खारिज किया है। 

LIC ने यह भी कहा है कि निवेश करने से पहले व्यापक परिशोधन हुआ था — जैसे वित्तीय स्वास्थ्य, क्रेडिट रेटिंग्स, कंपनी-व्यापार मॉडल, जोखिम-विश्लेषण आदि — और इस पर यह भरोसा किया गया कि निवेश नीति एवं निवेश मानदंडों के अनुरूप होगा।

हालांकि, विरोधी राजनीतिक दलों तथा विश्लेषकों द्वारा यह सवाल उठाया गया है कि सार्वजनिक बीमा निधियों का निजी समूह में बड़े स्तर पर निवेश करना क्या उचित है, विशेषकर तब जब उस समूह पर नियंत्रण एवं पारदर्शिता (governance & transparency) संबंधी शिकायतें हो रही हों। उदाहरण के लिए, LIC ने 2023-24 वित्त वर्ष में Adani समूह की सात कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी और निवेश मूल्य में लगभग 59 % की वृद्धि दर्ज की थी।

इसके विपरीत, LIC के निवेशों को बाजार में अचानक गिरावट द्वारा भारी नुकसान भी हुआ है — उदाहरण के लिए, एक ही दिन में Adani समूह की कुछ कंपनियों में गिरावट के कारण LIC को हजारों करोड़ रुपये का मूल्य-घटाव सहना पड़ा।

क्या LIC का कहना भरोसेमंद है?
हाँ और नहीं — मतलब, भरोसा तो किया जा सकता है कि LIC ने यह बयान दिया है और उसने अपनी ओर से स्पष्ट किया है कि यह निर्णय स्वतंत्र थे। लेकिन यह भी सच है कि निवेश-मात्रा, समय-पद, पार्टियों का चयन, और निवेश के पीछे जो रणनीति है — उस पर सवाल उठते हैं। सार्वजनिक जीवन बीमा संस्था द्वारा बड़े हिस्से का निवेश ऐसे समूहों में करना जहाँ पहले से राजनीतिक और नियामक जाँच का विषय हो — यह स्वाभाविक तौर पर विश्लेषकों के लिए चिंता का विषय है।

क्या आगे की चुनौतियाँ हैं?

पारदर्शिता बढ़ाने की ज़रूरत: निवेश निर्णय की प्रक्रिया, विश्लेषण की रिपोर्ट, जोखिम-मानदंड आदि सार्वजनिक रूप से विस्तृत रूप से सामने आ सकते हैं।

LIC's investments in Adani Group have increased sharply in past two years,  say reports

नियामक निगरानी: सार्वजनिक बीमा निधियों का निवेश करते समय यह देखा जाना चाहिए कि निवेश नीति, जोखिम-प्रबंधन फ्रेमवर्क और दीर्घ-कालीन दृष्टि के अनुरूप हो।

हित-संघर्ष (conflict of interest) की संभावना: जब सरकारी संस्थाएं निजी समूहों में बड़ी निवेश राशि लगाती हैं, तो यह दिखने में भी हित-संघर्ष उत्पन्न कर सकती है — इसलिए इस तरह की निवेश व्यवस्था को बहुत स्पष्ट रूप से justify करना होगा।

बाजार-स्थिति एवं समूह-विश्वास: Adani समूह जैसी बड़ी कंपनियों में निवेश करने का अर्थ है कि बाजार-विश्वास, समूह की प्रतिष्ठा, वित्तीय स्थिति सभी कारकों पर निर्भर करना होगा — अगर विश्वास गिरे तो नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। LIC ने इसका अनुभव पिछले वर्ष भी किया है।

उपसंहार
तो, सच कहूँ तो — इसमें कोई शक नहीं कि LIC ने यह बयान देकर अपने निर्णय के पीछे की जिम्मेदारी स्वीकार की है और दर्शाया है कि उसने ‘स्वतंत्र निर्णय’ लिया है। लेकिन यह भी सच है कि यह मामला सिर्फ बयान देने का नहीं, बल्कि उस निवेश-रणनीति, जोखिम-विश्लेषण, सार्वजनिक संवाद और समय-समय पर समीक्षा का है। अगर ऐसा नहीं हुआ है, तो भविष्य में इस तरह के निवेशों पर सवाल उठते रहेंगे।


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