ईयू ने हैंड सैनिटाइज़र में एथेनॉल पर कैंसर का खतरा जताया, बैन पर विचार
- byAman Prajapat
- 25 October, 2025
जब हम हाथ धोने के बाद सैनिटाइज़र लगाते हैं, तो उस तरल में अक्सर Ethanol (एथेनॉल) मौजूद होता है — यह संक्रमण को रोकने में मदद करता आया है। लेकिन अब European Chemicals Agency (ECHA) ने 10 अक्टूबर 2025 को एक आंतरिक सिफारिश जारी की है जिसमें कहा गया है कि एथेनॉल को “टॉक्सिक और संभवतः कैंसर जनक तथा प्रजनन प्रणाली पर हानिकारक” substance माना जाना चाहिए।
इसका मतलब यह हो सकता है कि हैंड सैनिटाइज़र, क्लीनिंग एजेंट्स आदि में इस्तेमाल होने वाला एथेनॉल या उस प्रकार के अन्य बायोसाइड्स उपयोग से परहेज करना पड़े। ECHA की बायोसाइड्स कमिटी 25 से 28 नवंबर 2025 के बीच इस विषय पर चर्चा करने जा रही है।
लेकिन — और यह “लेकिन” महत्वपूर्ण है — अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। ECHA ने स्पष्ट किया है कि यदि एक्सपोजर स्तर (उपयोग की मात्रा, आवृत्ति) सुरक्षित माना जाए, या कोई वैकल्पिक सुरक्षित विकल्प न मिले हों, तो एथेनॉल का उपयोग जारी रखने की छूट दी जा सकती है।
तो असल में क्या है सवाल? आइए डॉक्टर की नज़र से देखें — और हाँ, मैं सीधा बात करूँगा, ‘ग्लैसीड’ नहीं।
जोखिम क्या हो सकता है
एथेनॉल के सेवन (पीने) से कैंसर का बढ़ा हुआ जोखिम पता चला है — खासकर अल्कोहलिक ड्रिंक्स में। लेकिन वहीं हैंड सैनिटाइज़र में topical (त्वचा पर) उपयोग में इसकी मात्रा काफी कम होती है।
ECHA ने सुझाव दिया है कि “उपयोग के बाद वाले एक्सपोजर स्तर” और “वैकल्पिक उत्पादों की उपलब्धता” को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
मतलब: अगर आपने हाथ सैनिटाइज़र सामान्य तरीके से लगाया है — हाथ धोने के बाद, उचित मात्रा में — तो वर्तमान ज्ञान के आधार पर तत्काल खतरनाक कहा जाना मुश्किल है। लेकिन यह भी सच है कि “बहुत कमी” ज्ञान है कि क्या लंबे समय में क्या असर होगा।
क्यों हो सकता है असर
एथेनॉल जब शरीर में जाता है (खाना/पीना) तो वह एक मेटाबॉलाइट बनता है — Acetaldehyde — जिसे कार्सिनोजेनिक माना गया है। वह DNA डैमेज कर सकता है। आधुनिक उपयोग (हैंड सैनिटाइज़र) में त्वचा पार लगने वाला एक्सपोजर अलग बात है, लेकिन चिंता इस दिशा में है।
खासकर अगर सैनिटाइज़र बार-बार बहुत बड़ी मात्रा में, खुले हाथों या लंबे समय तक इस्तेमाल हो रहा हो, या बच्चों-छोटे बच्चों द्वारा गलती से निगला गया हो — तो जोखिम बढ़ सकता है।
और हाँ — प्रेग्नेंसी के दौरान उपयोग का असर, और प्रजनन क्षमता पर प्रभाव की भी संभावना ECHA ने उठाई है।

क्या करना चाहिए — “ज्यादा चिंता मत करो, पर बुझाना भी मत”
सामान्य उपयोग के लिए: जब हाथ नहीं धो सकते — जैसे बाहर, ट्रैवल में, अस्पताल में — सुरक्षित प्रमाणित हैंड सैनिटाइज़र इस्तेमाल करें। लेकिन अति उपयोग या गलत तरीके से उपयोग से बचें।
हाथ धोलें — साबुन और पानी से हाथ धोना सबसे पुराना, भरोसेमंद तरीका है। सैनिटाइज़र उससे विकल्प नहीं बल्कि सह-उपयोग है।
बच्चों के पहुंच से सैनिटाइज़र को दूर रखें — especially वो जिनके हाथ शादी-समारोह आदि में बार-बार लगाते हों। निगलने का ख़तरा है।
अगर कोई उत्पाद “बहुत सुगंधित” या “बहुत बार प्रयोग” का सुझाव दे रहा हो — सोचें कि क्या जरूरत है।
स्वास्थ्य-प्रेशित व्यक्तियों — उदाहरण के लिए गर्भवती महिलाएं — यदि चिंतित हों, तो डॉक्टर से पूछ सकती हैं कि उनके उपयोग की आदतें कैसे हों।
निष्कर्ष
देखिए, मैं यह कहूँगा — “पूरी तरह ध्वस्त करो” या “बिल्कुल डर जाओ” ऐसा नहीं कह सकता। लेकिन यह भी कहूंगा कि अनदेखा करना ठीक नहीं। यह समस्या “आज है” से ज्यादा “कल का हो सकता है” वाली है — हम देख रहे हैं, एजेंसी देख रही है, निर्णय आने वाला है। हम पुराने जमाने की बात करें तो — जब साबुन-पानी से काम चलता था, बहुत भरोसा था — आज तकनीक आ गई लेकिन इस भरोसे के साथ थोड़ी समझदारी भी लेनी पड़ेगी।
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देखिए सुष्मिता सेन...
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