हिमाचल प्रदेश के मंडी में फिर फटा बादल, आधी रात को आई बाढ़, 2 की मौत, 50 गाड़ियां मलबे में दबी
- bySheetal
- 30 July, 2025

🌧️ हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले में फिर से बादल फटने की घटना
📌 ताज़ा स्थिति
29 जुलाई 2025 की देर रात, मंडी शहर में अचानक बादल फटने से अचानक बाढ़ आई। इसमें कम से कम 3 लोगों की मौत हुई, एक व्यक्ति अभी भी लापता है, दर्जनों घर और वाहन तबाह हुए हैं, और मुख्य चंडीगढ़–मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी भूस्खलन के कारण यातायात अवरुद्ध रहा
नवभारत टाइम्स के अनुसार, दो लोगों की मृत्यु हुई और 50 से अधिक वाहन मलबे में दफ़न हो गए हैं; राहत व बचाव कार्य लगातार जारी है

🚨 मौसम विभाग मानिटरिंग: अलर्ट और चेतावनी
IMD (मौसम विज्ञान विभाग) ने मंडी, कांगड़ा, और कुल्लू जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया था, जिसमें भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका जताई गई थी। इसके अतिरिक्त, शिमला, सिरमौर और चंबा जिलों में येलो अलर्ट भी जारी किया गया था
राज्य में मॉनसून की शुरुआत (20 जून 2025) से अब तक 164 अत्यधिक आपदाओं से हुई मौतें, जिसमें बादल फटना, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड प्रमुख हैं; अभी भी लगभग 35 लोग लापता हैं और कई सड़कें/सड़क अवरुद्ध हैं
⚠️ क्या सरकार को पहले से अलर्ट जारी करना चाहिए?
✅ हाँ — क्यों?
जान-माल की सुरक्षा
• पहले से अलर्ट जारी करने से लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित हो सकते हैं।
• फ्लैश फ्लड और बादल फटने जैसी घटनाएँ अचानक होती हैं – चेतावनी से नुकसान काफी घटाया जा सकता है।
प्रभावी आपदा प्रबंधन
• रेड/ऑरेंज अलर्ट जारी होने पर आपदा प्रबंधन दल, NDRF/SDRF तत्काल तैयारी कर सकते हैं।
• सरकार आपातकालीन संसाधनों (राहत शिविर, चिकित्सा, रसद) को पूर्व निर्धारित स्थानों पर सजग कर सकती है।
❌ इसके बावजूद भी शिकायतें क्यों हैं?
अलर्ट जारी तो होते हैं, लेकिन गंभीरता से नहीं लेते:
अधिकतर लोग अलर्ट को गलत समझते हैं या समय रहते अनदेखा कर देते हैं – दोहराए गए अलर्ट के बावजूद भी सावधानी कम रहती है।
सरकारी तैयारी अक्सर नाकाफी:
जैसे मंडी की घटना के बाद कई रोड अभी भी बंद हैं, पानी-विद्युत आपूर्ति बाधित है, सक्रीय राहत कार्य के बावजूद कई जगह गिरावट बनी हुई है Navbharat Times+4आज तक+4Navbharat Times+4Amar Ujala+9Live Hindustan+9Navbharat Times+9deccanherald.com।
कई क्षेत्रों में मोबाइल सिग्नल, प्राथमिक चिकित्सा या स्थानीय आबादी तक अलर्ट पहुंचाना संभव नहीं हो पाता।
📋 परिणाम – निष्कर्ष सारांश
पहलु | मूल्यांकन |
---|---|
अलर्ट सिस्टम (IMD) | समय-समय पर रेड/ऑरेंज/येलो अलर्ट जारी होता है |
जन जागरूकता | अलर्ट के बावजूद जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन कम है |
सरकारी तैयारी | तैयारी आंशिक होती है; बचाव व राहत कार्य समय पर शुरू होता है लेकिन पूरी क्षमता से नहीं |
स्थानीय अवसंरचना | सड़क, बिजली, जल आपूर्ति बाधित; कुछ टीमें कम सक्रिय रहती हैं |
लाभ | सही वक्त पर अलर्ट से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है |
✅ सुझाव: बेहतर आपदा तैयारी के लिए कदम
लोक जागरूकता बढ़ाना
• स्थानीय स्तर पर रेडियो, SMS, सोशल मीडिया, सामुदायिक घोषणा आदि माध्यमों से अलर्ट का भरोसा बनाना।
सतर्कता अभ्यास एवं ड्रिल
• पंचायत, स्कूल, कार्यालय स्तर पर साल में कम से कम 1‑2 बार ‘आपदा ड्रिल’ आयोजित करें।
स्थानीय क्षमता निर्माण
• NDRF/SDRF टीम, अस्पताल, जिला प्रशासन, पुलिस को नियमित रूप से तैयार रखें।
इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना
• नालों के पास बाड़ लगाना, सुरक्षित आवागमन मार्ग बनाए रखना, चेतावनी साइनेज स्थापित करना।
गैर-सरकारी संस्थाओं को जोड़ना
• वन विभाग, जल विभाग, भूमिहार जैसी संस्थाओं के साथ समन्वय से राहत कार्य और संरक्षा बेहतर हो सकती है।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
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