14 साल में 11.7 करोड़ मौतें, सिर्फ 1.15 करोड़ आधार नंबर डिलीट, RTI में चौंकाने वाला खुलासा
- bypari rathore
 - 30 July, 2025
 
                                    भारत में आधार कार्ड को नागरिक पहचान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। सरकारी योजनाओं से लेकर मोबाइल सिम, बैंक खातों तक, हर जगह आधार की अनिवार्यता बढ़ती जा रही है। लेकिन एक हालिया RTI (सूचना का अधिकार) के जवाब ने हैरान कर देने वाला खुलासा किया है।
RTI से सामने आया है कि पिछले 14 वर्षों (यानी 2010 से 2024 तक) में देश में करीब 11.7 करोड़ लोगों की मौत दर्ज की गई, लेकिन सिर्फ 1.15 करोड़ आधार नंबर ही सिस्टम से डिलीट किए गए। यानी करीब 10 करोड़ से ज्यादा आधार नंबर अभी भी अस्तित्व में हैं, जबकि उनके धारक इस दुनिया में नहीं हैं।
क्यों है ये बड़ा मसला?
यह खुलासा कई अहम सवाल खड़े करता है –
क्या मृतकों के आधार का कोई दुरुपयोग हो रहा है?
क्या सरकारी सब्सिडी, पेंशन या अन्य लाभ मृतकों के नाम पर जारी हो रहे हैं?
सिस्टम की निगरानी में इतनी बड़ी चूक कैसे रह गई?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी मृतक का आधार रिकॉर्ड सिस्टम में एक्टिव रहता है, तो उसके नाम पर फर्जीवाड़ा, जैसे बैंक खातों से लेनदेन, सब्सिडी क्लेम करना, या किसी और पहचान-पत्र का दुरुपयोग संभव हो सकता है।
UIDAI की जिम्मेदारी पर सवाल
UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) की जिम्मेदारी है कि मृत्यु का प्रमाणपत्र जारी होते ही संबंधित व्यक्ति का आधार नंबर सिस्टम से हटा दिया जाए। लेकिन RTI से सामने आए आंकड़े बताते हैं कि मृत्यु पंजीकरण प्रणाली और आधार डेटाबेस के बीच तालमेल की भारी कमी है।
मौत का आंकड़ा कहां से आया?
RTI के मुताबिक, भारत में पिछले 14 वर्षों में कुल 11.7 करोड़ मौतें दर्ज हुईं, जिनके आंकड़े केंद्रीय पंजीकरण प्रणाली और राज्य सरकारों के रिकॉर्ड पर आधारित हैं। लेकिन इनमें से केवल 1.15 करोड़ मामलों में ही आधार नंबर डिलीट हुए।
इसका असर क्या है?
विशेषज्ञों के अनुसार, इस खामी के चलते -
✅ सब्सिडी में गड़बड़ी – सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़े का खतरा
✅ वोटर लिस्ट में मृत लोगों के नाम – लोकतंत्र की पारदर्शिता पर सवाल
✅ फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी – बैंक खातों और वित्तीय लेनदेन में खतरा
सरकार पहले भी कह चुकी है कि ‘जीवन प्रमाण पत्र’ जैसी स्कीमें लागू की गई हैं, ताकि पेंशन या अन्य लाभ मृतकों के नाम पर जारी न हों। लेकिन इतने बड़े गैप ने सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
UIDAI का क्या कहना है?

इस मुद्दे पर UIDAI का कहना है कि किसी मृत व्यक्ति का आधार तभी डिलीट होता है, जब परिवार मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ डाटा अपडेट कराए। लेकिन भारत में अभी भी मृत्यु पंजीकरण दर करीब 80% ही है, यानी हर 100 मौत में 20 मौतों की आधिकारिक जानकारी ही नहीं पहुँचती। इसी वजह से आधार रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो पाता।
आगे क्या होगा?
सूत्रों का कहना है कि सरकार अब इस गैप को खत्म करने के लिए आधार को Birth-Death Registration System से जोड़ने पर विचार कर रही है। ताकि किसी व्यक्ति की मृत्यु का रिकॉर्ड आते ही उसका आधार अपने आप निष्क्रिय हो जाए।
फिलहाल, इस RTI के खुलासे ने एक बार फिर आधार सिस्टम की निगरानी और डेटा प्रबंधन पर बड़ी बहस छेड़ दी है।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
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