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रूस से तेल खरीद पर चीन पर टैरिफ लगाने से क्यों झिझक रहे ट्रंप?

रूस से तेल खरीद पर चीन पर टैरिफ लगाने से क्यों झिझक रहे ट्रंप?

📰 रूस से भर-भरकर तेल खरीद रहा चीन, फिर भी टैरिफ लगाने से क्यों झिझक रहे ट्रंप?

वॉशिंगटन/बीजिंग – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, वजह थी रूस से कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद। लेकिन जब बात चीन की आती है — जो रूस से और भी ज्यादा तेल आयात कर रहा है — तो ट्रंप ने इस पर कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की।

पृष्ठभूमि

पद संभालने के बाद से ट्रंप ने व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कई देशों के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने की नीति अपनाई है। भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ का मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को को आर्थिक नुकसान पहुँचाना बताया गया था।

चीन, जो रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन चुका है, रोज़ाना लाखों बैरल रूसी कच्चा तेल आयात कर रहा है — और वह भी अक्सर भारी छूट पर। फिर भी, ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगाने का जो ऐलान किया था, उसकी समय सीमा को उन्होंने 90 दिन आगे बढ़ा दिया।

ट्रंप की झिझक के कारण

विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन के साथ मामला “ज्यादा जटिल” है:

आर्थिक निर्भरता – अमेरिकी सप्लाई चेन में चीन की भूमिका गहरी है। टैरिफ से अमेरिकी कंपनियों को भी बड़ा झटका लग सकता है।

कूटनीतिक संतुलन – अमेरिका और चीन के बीच पहले से कई मुद्दों पर तनाव है (ताइवान, तकनीक, व्यापार)। टैरिफ से टकराव और बढ़ सकता है।

भूराजनैतिक रणनीति – रूस-चीन की नजदीकियों को देखते हुए, वॉशिंगटन शायद सीधे टकराव से बचना चाहता है और पीछे के दरवाज़े से दबाव डाल रहा है।

अमेरिका की दोहरी नीति पर सवाल

भारत पर त्वरित कार्रवाई और चीन पर नरमी ने ट्रंप प्रशासन की नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आलोचक कह रहे हैं कि “बड़े खिलाड़ी” के खिलाफ अमेरिका उतनी तेजी नहीं दिखाता, जितनी छोटे या मध्यम व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ।

चीन की प्रतिक्रिया

 रूस से भर-भरकर तेल खरीद रहा चीन, फिर भी टैरिफ लगाने से क्यों झिझक रहे ट्रंप?https://rajasthaninews.com/news/why-is-trump-hesitant-to-impose-tariffs-on-china-despite-its-massive-russian-oil-imports

चीन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस और ईरान से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा। बीजिंग का कहना है कि यह उसके “ऊर्जा सुरक्षा” का हिस्सा है और किसी तीसरे देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

आगे क्या?

अगले 90 दिनों में यह देखना होगा कि ट्रंप प्रशासन चीन के खिलाफ ठोस आर्थिक कार्रवाई करता है या बातचीत और समझौते के रास्ते पर चलता है।


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