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सिद्ध चिकित्सा: त्रिदोष संतुलन और मजबूत पाचन तंत्र का प्राकृतिक रास्ता

सिद्ध चिकित्सा: त्रिदोष संतुलन और मजबूत पाचन तंत्र का प्राकृतिक रास्ता

सिद्ध चिकित्सा: त्रिदोष संतुलन और मजबूत पाचन तंत्र का प्राकृतिक रास्ता

तमिलनाडु, भारत | अगस्त 2025 — भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में से एक, सिद्ध चिकित्सा, आज भी शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का प्राकृतिक और प्रभावी तरीका बनी हुई है। यह पद्धति त्रिदोष—वात, पित्त, कफ—को संतुलित कर पाचन तंत्र को मजबूत करती है और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।

सिद्ध चिकित्सा की जड़ें

सिद्ध चिकित्सा की शुरुआत अठारह सिद्धों, विशेषकर अगस्त्यर ने की।

मान्यता है कि भगवान शिव ने यह ज्ञान पार्वती, नंदीदेवर और फिर सिद्धों तक पहुंचाया।

प्रारंभ में यह ज्ञान मौखिक रूप में और बाद में ताड़ के पत्तों पर लिखकर सुरक्षित किया गया।

यह पद्धति तमिलनाडु, केरल और श्रीलंका में प्रचलित रही।

त्रिदोष और पाचन तंत्र पर प्रभाव

सिद्ध चिकित्सा त्रिदोष के असंतुलन को ठीक करती है, जिसे सभी बीमारियों का कारण माना जाता है।

यह अपच, सूजन, अल्सर, भूख न लगना जैसी समस्याओं को दूर करती है।

उपचार में कायकार्पम (जड़ी-बूटियों और जीवनशैली का मिश्रण) और मुप्पु (विशेष नमक) शामिल है, जो शरीर को डिटॉक्स करते हैं और अंगों को नई ऊर्जा देते हैं।

कोविड-19 जैसे रोगों के लक्षणों में भी सिद्ध चिकित्सा ने सहायता प्रदान की

उपचार का अनोखा तरीका

सिद्ध चिकित्सा हर व्यक्ति की आयु, आदतें और शारीरिक स्थिति के अनुसार उपचार देती है।

इसमें शामिल हैं:

हर्बल दवाएं

योग और प्राणायाम

ध्यान और विशेष आहार

पंचकर्मा जैसी प्रक्रियाएं जो शरीर को शुद्ध करती हैं

कायकार्पम में जड़ी-बूटियां और खनिज शरीर और स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

सिद्ध चिकित्सा: त्रिदोष संतुलन और मजबूत पाचन तंत्र का प्राकृतिक रास्ता; जानें प्राचीन ज्ञान के आधुनिक लाभ
सिद्ध चिकित्सा

क्यों चुनें सिद्ध चिकित्सा

यह प्रणाली सरल, प्राकृतिक और प्रभावी है।

यह न केवल रोगों से बचाती है, बल्कि शरीर और मन को तरोताजा और संतुलित रखती है।

सिद्ध चिकित्सा अपनाकर कोई भी व्यक्ति स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकता है।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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