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एसआई ने छात्र की बेरहमी से पिटाई कर दांत तोड़ा, फिर तीसरी मंजिल से फेंका — बिहार में भड़का गुस्सा, जांच के आदेश

एसआई ने छात्र की बेरहमी से पिटाई कर दांत तोड़ा, फिर तीसरी मंजिल से फेंका — बिहार में भड़का गुस्सा, जांच के आदेश

बिहार फिर एक बार उस कठोर सच्चाई के सामने खड़ा है जहाँ कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते नज़र आ रहे हैं। सीतामढ़ी जिले में हुई यह घटना केवल एक छात्र पर हमला नहीं, बल्कि पूरे समाज की संवेदना पर चोट है। एक सब-इंस्पेक्टर (एसआई) की हैवानियत ने इस बात को साबित कर दिया कि सत्ता और वर्दी का नशा जब सिर चढ़कर बोलता है, तो इंसानियत कहीं कोने में दम तोड़ देती है।

जानकारी के अनुसार, पीड़ित छात्र मनीष कॉलेज के पास अपने दोस्तों के साथ था, जब आरोपी एसआई वहां पहुंचा। चश्मदीदों के मुताबिक, एसआई पूरी तरह नशे में था। उसने बिना किसी वजह मनीष को रोककर गालियां देनी शुरू कर दीं और फिर उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी।

पहले तो उसने चौक पर ही छात्र को कई थप्पड़ मारे, लाठी से पीटा, और जब आसपास के लोग इकट्ठा होने लगे तो उसने धमकी दी कि “अब इसे दिखाता हूं पुलिस की ताकत।” इसके बाद वह मनीष को जबरदस्ती कॉलेज के हॉस्टल तक खींच ले गया।

हॉस्टल के अंदर मनीष को कमरे में बंद करके लाठी और पिस्टल के बट से पीटा गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि एसआई ने उसे इतनी बेरहमी से मारा कि उसका एक दांत टूट गया, शरीर पर गहरे जख्म आ गए। जब मनीष दर्द से तड़प रहा था, तब भी एसआई का दिल नहीं पसीजा। उसने नशे में झूमते हुए मनीष को पकड़ा और तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया।

नीचे गिरते ही मनीष बेहोश हो गया। हॉस्टल में अफरा-तफरी मच गई। उसके दोस्तों और कॉलेज के अन्य छात्रों ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों के अनुसार, मनीष के सिर, पीठ और पैर में गंभीर चोटें आई हैं, और उसकी हालत अब भी नाजुक बताई जा रही है।

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इस घटना की खबर फैलते ही पूरे कॉलेज और इलाके में गुस्से की लहर दौड़ गई। सैकड़ों छात्रों ने थाने का घेराव किया और आरोपी एसआई की गिरफ्तारी की मांग की। “हम पढ़ने आए हैं, मरने नहीं!” — यह नारा छात्रों के बीच गूंजता रहा।

स्थानीय नागरिकों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब किसी पुलिसकर्मी ने शराब पीकर आम जनता या छात्रों के साथ बदसलूकी की हो। पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल निलंबन और बयानबाज़ी होती है।

इस बार मामला बड़ा होने के चलते पुलिस मुख्यालय ने तुरंत रिपोर्ट तलब की है। आरोपी एसआई को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है और विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। वहीं पीड़ित परिवार का कहना है कि निलंबन से कुछ नहीं होगा — उन्हें न्याय चाहिए और आरोपी पर “हत्या के प्रयास” की धारा लगाई जानी चाहिए।

मनीष के पिता ने कहा, “हमारा बेटा मेहनत से पढ़ने गया था, लेकिन जिस पुलिस पर भरोसा किया, उसी ने उसकी ज़िंदगी खतरे में डाल दी। अगर आज न्याय नहीं मिला, तो कल कोई और मनीष इस सिस्टम की बलि चढ़ जाएगा।”

घटना पर विपक्षी नेताओं ने सरकार को घेरा है। एक प्रमुख विपक्षी नेता ने ट्वीट किया, “बिहार में पुलिस प्रशासन बेलगाम हो चुका है। नशे में धुत एसआई छात्रों को मार रहा है और सरकार चुप है। यह बिहार नहीं, जंगलराज का नया चेहरा है।”

दूसरी ओर, पुलिस विभाग ने बयान जारी करते हुए कहा है कि “अगर जांच में एसआई दोषी पाया गया, तो उसे बर्खास्त कर जेल भेजा जाएगा।” हालांकि जनता को इन बयानों पर अब भरोसा नहीं रहा।

सोशल मीडिया पर भी इस घटना ने भारी आक्रोश फैला दिया है। “#JusticeForManish” हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। कई यूज़र्स ने कहा कि यह सिर्फ एक छात्र नहीं, हर उस आम इंसान की लड़ाई है जो सिस्टम की ज्यादती के खिलाफ खड़ा होना चाहता है।

मौजूदा समय में मनीष का इलाज जारी है, और डॉक्टरों के मुताबिक उसे गहरी चोटें आई हैं। छात्रों का आंदोलन अभी भी जारी है, और कॉलेज प्रशासन ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है।

इस पूरे प्रकरण ने बिहार पुलिस की छवि पर गहरा दाग लगा दिया है। सवाल यह है कि जब सुरक्षा देने वाले ही डर का कारण बन जाएं, तो जनता किस पर भरोसा करे?

राज्य सरकार के लिए यह केवल एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि नैतिक संकट है। हर नागरिक के मन में अब यही सवाल है — क्या कानून सिर्फ आम जनता के लिए है, या वर्दी पहनने वालों पर भी लागू होगा?


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