“नए प्लास्टर, नया कॉस्ट्यूम”: सौरभ भारद्वाज का आरोप — नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विस्फोट घायलों से ‘फोटो-ऑप’ किया
- byAman Prajapat
- 13 November, 2025
1. दिल्ली में दहशत की रात
10 नवम्बर 2025 की रात दिल्ली की हवा में बारूद की गंध घुल गई। लाल किला के पास हुए विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया। शहर की सड़कों पर अफरातफरी मच गई, सायरनों की आवाज़ें रातभर गूंजती रहीं। लोग अपने घरों से डर-डर कर झांक रहे थे। यह सिर्फ एक धमाका नहीं था, बल्कि राजधानी की सुरक्षा पर एक गहरी चोट थी।
विस्फोट में कई निर्दोष लोग घायल हुए, जिनमें आम नागरिक, एक रिक्शा चालक और पास की दुकान का कर्मचारी शामिल था। दिल्ली पुलिस, NIA, और फॉरेंसिक टीम तुरंत मौके पर पहुंचीं। जांच शुरू हुई, और चारों ओर सवालों का तूफान उठने लगा — “कैसे हुआ? किसने किया? क्यों किया?”
2. प्रधानमंत्री का अस्पताल दौरा — मानवीयता या मीडिया शो?
अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने LNJP अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की। कैमरे चमकने लगे, तस्वीरें खिंचने लगीं। प्रधानमंत्री ने हर घायल का हाल पूछा, सांत्वना दी, और सुरक्षा एजेंसियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री की तस्वीरें वायरल हुईं — एक तरफ संवेदनशील चेहरा, दूसरी तरफ विरोधी दलों का आरोप कि यह “सिर्फ दिखावा” था।
3. AAP MLA सौरभ भारद्वाज का आरोप — ‘नए कपड़े, नया प्लास्टर’
इसी बीच आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ विधायक सौरभ भारद्वाज ने एक वीडियो पोस्ट कर तूफान खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि “11 नवम्बर को जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उसी घायल से मुलाकात की थी, तब उसके हाथ में पुराना प्लास्टर था, और अगले दिन जब पीएम मोदी अस्पताल पहुंचे, तो उसी हाथ में नया प्लास्टर और नया कॉस्ट्यूम पहना दिया गया।”
उनके बयान ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया।
“किसी पीड़ित को प्रॉप की तरह इस्तेमाल करना अमानवीय है। अगर सच में नया प्लास्टर सिर्फ फोटो के लिए लगाया गया है, तो यह शर्मनाक है।”
उनके इस बयान के बाद ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #PhotoOpPolitics, #DelhiBlast, और #NewPlaster ट्रेंड करने लगे।
4. बीजेपी का पलटवार — “AAP कर रही है राजनीति की गंदगी”
भारद्वाज के आरोप पर बीजेपी नेताओं ने तीखा जवाब दिया। दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा,
“जब देश शोक में है, तब भी आम आदमी पार्टी राजनीति का मौका ढूंढ रही है। प्रधानमंत्री देश के हर नागरिक के दुख में साथ खड़े होते हैं — इस पर सवाल उठाना बेहद घटिया है।”
भाजपा ने ये भी कहा कि अस्पताल प्रशासन की प्रक्रियाओं के अनुसार किसी घायल का इलाज अपडेट किया गया होगा, प्लास्टर बदला जाना सामान्य प्रक्रिया है। इसे “फोटो-ऑप” बताना घायलों का अपमान है।
5. जनता की दो राय — देश बंट गया दो हिस्सों में
इस विवाद ने जनता को दो धड़ों में बाँट दिया।
एक पक्ष कह रहा था कि भारद्वाज का आरोप सही है, सरकार हर पीआर इवेंट को भावनाओं की मार्केटिंग में बदल देती है।
दूसरा पक्ष कह रहा था कि पीएम का दौरा ज़रूरी था, और ऐसे समय में विपक्ष को चुप रहना चाहिए था।
ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा —
“अगर घायल को नया प्लास्टर दिया गया, तो शायद डॉक्टरों ने ज़रूरत समझी होगी, लेकिन अब हर चीज़ को राजनीति बनाना भी बीमारी है।”
वहीं एक अन्य यूज़र ने लिखा —
“हर बार चुनाव के पहले ऐसे फोटो-ऑप्स क्यों होते हैं? जनता सब देख रही है।”
6. अस्पताल प्रशासन का बयान — ‘इलाज जारी था, आरोप झूठे हैं’
LNJP अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने मीडिया को बताया कि घायल का इलाज लगातार चल रहा था। उन्होंने कहा कि,
“जब सीएम आईं, उस वक्त मरीज का अस्थायी बैंडेज था। अगले दिन एक्स-रे रिपोर्ट के बाद प्लास्टर बदला गया, जो सामान्य प्रक्रिया है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अस्पताल किसी भी राजनैतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं बनता।
फिर भी, सोशल मीडिया पर लोगों ने डॉक्टर्स के इस बयान को भी “दबाव में दिया गया” कहकर संदेह जताया।

7. मीडिया कवरेज — हेडलाइन वॉर का नया दौर
हर न्यूज़ चैनल ने इस कहानी को अपने रंग में पेश किया।
एक चैनल ने लिखा: “AAP का हमला, मोदी का नया ड्रामा?”
दूसरे ने कहा: “संवेदनशील पीएम की मानवीय पहल पर विपक्ष का हमला।”
तीसरे ने लिखा: “प्लास्टर या प्रोपेगैंडा? दिल्ली में सियासी ब्लास्ट।”
टीवी स्टूडियो में डिबेट्स चलने लगीं, ऐंकर चिल्लाने लगे, और दर्शक WhatsApp पर मीम्स शेयर करने लगे — किसी में पीएम के हाथ में कैमरा दिखाया गया, किसी में AAP नेताओं को ‘फोटो-हंटर’ कहा गया।
8. विश्लेषण — फोटो-ऑप की राजनीति
भारत की राजनीति में “फोटो-ऑप” कोई नई चीज़ नहीं।
हर पार्टी, हर नेता, हर सरकार किसी न किसी मौके पर इस तरह की तस्वीरों से अपनी छवि गढ़ने की कोशिश करती है।
लेकिन जब यह संवेदनशील घटनाओं से जुड़ा होता है, जैसे विस्फोट, मौत, या प्राकृतिक आपदा, तो यह नैतिकता का प्रश्न बन जाता है।
राजनीति विशेषज्ञ प्रो. आलोक मिश्रा कहते हैं:
“जब नेता कैमरों के बीच संवेदना जताते हैं, तो दो उद्देश्य होते हैं — जनता को सहारा देना और राजनीतिक संदेश देना। परंतु अगर दृश्य पहले से सेट किया जाए, तो यह करुणा की नहीं, रणनीति की तस्वीर बन जाती है।”
9. सोशल मीडिया और मीम कल्चर
जैसे ही सौरभ भारद्वाज का बयान आया, X (Twitter) पर हजारों पोस्ट्स होने लगे।
मीम्स की बाढ़ आ गई —
एक मीम में घायल को सुपरहीरो प्लास्टर में दिखाया गया, कैप्शन था “New Season, New Look!”
दूसरे में लिखा था “Modi hai to plaster hai.”
तीसरे में किसी ने लिखा “Photoshop से बेहतर Photo-Op.”
वहीं बीजेपी समर्थकों ने जवाबी ट्रेंड चलाया — #ShameOnAAP और #FakePolitics.
हर किसी का अपना ‘ट्रेंड’ चल रहा था। असली मुद्दा — धमाके की जांच — कहीं पीछे छूट गया।
10. दिल्ली ब्लास्ट जांच — असली कहानी अब भी अधूरी
इस पूरे विवाद के बीच असली जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियों को कुछ सुराग मिले हैं कि यह विस्फोट किसी “राजनैतिक संदेश” के लिए किया गया हो सकता है।
एक विदेशी हैंडल से जुड़े Telegram चैनल पर भी धमाके से पहले संदिग्ध संदेश मिले थे।
NIA और Delhi Police की जॉइंट टीम ने कई संदिग्धों से पूछताछ की है, और CCTV फुटेज के 120 से अधिक क्लिप्स खंगाले जा रहे हैं।
लेकिन मीडिया और जनता अब ज्यादा दिलचस्पी “प्लास्टर विवाद” में दिखा रही है, जबकि विस्फोट के असली अपराधी अब भी गिरफ्त से बाहर हैं।
11. नैतिकता बनाम राजनीति — जनता का सवाल
सवाल सिर्फ इतना है — क्या संवेदना दिखाना भी अब राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बन गया है?
क्या हर मानवीय पहल को प्रचार से जोड़ देना सही है?
क्या पीड़ित की गरिमा इतनी सस्ती हो गई है कि उसे ‘नए कॉस्ट्यूम’ में फोटो के लिए सजाया जाए?
वहीं सरकार कहती है — प्रधानमंत्री का हर कदम देशवासियों के साथ खड़ा होने का प्रतीक है।
सच कहीं बीच में है — न पूरी तरह राजनीति, न पूरी तरह पवित्रता।
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