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भारत में पाए गए HIV स्ट्रेन्स ने दिखाई प्रतिरोधक क्षमता, एंटीबॉडी रिसर्च पर असर

भारत में पाए गए HIV स्ट्रेन्स ने दिखाई प्रतिरोधक क्षमता, एंटीबॉडी रिसर्च पर असर

New Delhi.
भारत में पाए जाने वाले एचआईवी (HIV) के कुछ स्ट्रेन्स (strains) ने उन ब्रोडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज़ (bNAbs) के प्रति प्रतिरोध (resistance) दिखाया है, जिन्हें एचआईवी रोकथाम और वैक्सीन रिसर्च में सबसे प्रभावी माना जाता है।

🔬 पृष्ठभूमि

1994 में Science जर्नल में प्रकाशित एक अहम रिसर्च ने पहली बार b12 antibody की पहचान की थी।

अध्ययन ने दिखाया कि जहां HIV संक्रमित मरीजों के रक्त प्लाज़्मा से बने मिश्रण केवल 12 में से 3 मरीजों के वायरस को न्यूट्रलाइज़ कर पाए, वहीं b12 अकेले 12 में से 8 मरीजों के वायरस को रोकने में सक्षम था।

यह खोज HIV वैक्सीन और उपचार की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई।

⚠️ भारत में स्थिति

हाल के अध्ययन बताते हैं कि भारत में पाए जाने वाले HIV-1 स्ट्रेन्स कुछ प्रमुख bNAbs के प्रति पूरी तरह संवेदनशील नहीं हैं।

इसका मतलब है कि भारत में विकसित होने वाले HIV वैक्सीन या उपचार रणनीतियों को अलग तरह से डिजाइन करना पड़ सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि स्थानीय वायरस स्ट्रेन्स की जेनेटिक विविधता को ध्यान में रखते हुए एंटीबॉडी-आधारित थेरेपी या वैक्सीन तैयार करना जरूरी होगा।

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🌍 वैश्विक महत्व

HIV रिसर्च में bNAbs को एक महत्वपूर्ण हथियार माना जाता है, क्योंकि ये अलग-अलग HIV स्ट्रेन्स को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं।

भारत जैसे देशों में जहां HIV स्ट्रेन्स अलग व्यवहार दिखाते हैं, यह चुनौती और बढ़ जाती है।


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