पीएम मोदी ने बनाया रिकॉर्ड, अकेले ही विदेशी संसदों में दिए कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के बराबर भाषण
- bypari rathore
- 07 August, 2025
पीएम मोदी अकेले ही कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों पर पड़े भारी, विदेशी संसद में दिए 17वें ऐतिहासिक संबोधन से रचा इतिहास
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने विदेशी दौरों में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में वे पांच देशों – घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, ब्राजील, अर्जेन्टीना और नामीबिया – की यात्रा पूरी कर स्वदेश लौट आए हैं। इस दौरे के दौरान उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड बना दिया, जो आज तक किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने नहीं बनाया था।
पीएम मोदी ने बुधवार को नामीबिया की संसद को संबोधित किया। खास बात यह है कि यह उनका किसी विदेशी संसद में 17वां संबोधन था। यह आंकड़ा अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि आज़ादी के बाद से कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों — चाहे वे जवाहरलाल नेहरू हों, इंदिरा गांधी हों या मनमोहन सिंह — उनके कार्यकाल में कुल मिलाकर विदेशी संसदों में 17 ही बार संबोधन किए गए थे। यानी अकेले नरेंद्र मोदी ने जितने भाषण विदेशी संसदों में दिए, उतने कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों ने मिलकर दिए थे।
विदेशी दौरों में बढ़ाया भारत का मान
प्रधानमंत्री मोदी ने नामीबिया की संसद में अपने संबोधन में भारत और नामीबिया के रिश्तों, वैश्विक चुनौतियों और विकास के मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत, अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर काम करने और विकास की नई राहें तलाशने के लिए प्रतिबद्ध है।
पीएम मोदी के इस दौरे को कूटनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो जैसे देशों से व्यापार, निवेश, सांस्कृतिक संबंधों और वैश्विक मंचों पर सहयोग को और मज़बूती देने पर चर्चा हुई। वहीं, ब्राजील और अर्जेन्टीना के साथ ब्रिक्स और जी-20 जैसे मंचों पर भारत की भूमिका को और मज़बूती देने के संकेत मिले।

मोदी के रिकॉर्ड तोड़ दौरे
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों में करीब 70 से ज्यादा देशों की यात्रा की है। उनके दौरों को अक्सर भारत की विदेश नीति को आक्रामक और सक्रिय दिशा देने वाला बताया जाता है। उनका यह नया रिकॉर्ड कांग्रेस के दौर के मुकाबले भारत की वैश्विक उपस्थिति में बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
वहीं, राजनीतिक हलकों में इस आंकड़े को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। बीजेपी इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलता बता रही है, जबकि विपक्ष का कहना है कि आंकड़ों से ज्यादा महत्व विदेश नीति के ठोस नतीजों को देना चाहिए।
फिर भी, यह कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी ने विदेशी संसदों में लगातार अपने भाषणों से न सिर्फ भारत की बात रखी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की छवि को और सशक्त किया है।
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