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गगनयान मिशन: ISRO ने पैराशूट सिस्टम का पहला बड़ा टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया

गगनयान मिशन: ISRO ने पैराशूट सिस्टम का पहला बड़ा टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया

गनयान मिशन में ISRO ने जिस इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) को सफलतापूर्वक पूरा किया है, वह बेहद महत्वपूर्ण कदम है। इस टेस्ट के जरिए पैराशूट सिस्टम की क्षमता को परखा गया ताकि जब अंतरिक्ष यात्री मिशन पूरा करने के बाद धरती पर लौटें, तो उनका क्रू मॉड्यूल (कैप्सूल) सुरक्षित और नियंत्रित गति से लैंड कर सके।

इस परीक्षण की खास बातें:

यह टेस्ट ISRO, भारतीय वायुसेना (IAF), DRDO, नौसेना और तटरक्षक बल ने मिलकर किया।

पैराशूट सिस्टम की मदद से क्रू मॉड्यूल की स्पीड को कम किया गया ताकि वह सुरक्षित तरीके से जमीन पर उतरे।

यह परीक्षण दिखाता है कि भारत ने सुरक्षित रीकवरी तकनीक की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है।

👉 इस सफलता से गगनयान मिशन और भी नजदीक आ गया है। यह मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में खड़ा करेगा जो मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखते हैं।गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसे ISRO 2025 तक पूरा करने की तैयारी में है। इसका लक्ष्य है कि भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों (जिन्हें “व्योमनॉट्स” कहा जाएगा) को अंतरिक्ष में भेजे और सुरक्षित वापस लाए।

🔑 गगनयान मिशन की पूरी योजना

क्रू मॉड्यूल (Crew Module):

यही वह कैप्सूल है जिसमें अंतरिक्ष यात्री बैठेंगे।

इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह स्पेस में रहने योग्य हो और वापस लौटते समय सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर उतरे।

लॉन्च व्हीकल (GSLV Mk-III / LVM-3):

गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट इस्तेमाल होगा।

क्रू एस्केप सिस्टम (CES):

लॉन्च के दौरान किसी आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए यह सिस्टम होगा।

पैराशूट सिस्टम (IADT-01 टेस्ट):

अंतरिक्ष यात्री जब वापस आएंगे तो कैप्सूल समुद्र या जमीन पर सुरक्षित उतरे, इसके लिए पैराशूट सिस्टम का इस्तेमाल होगा।

हाल ही में इसका सफल परीक्षण हुआ।

🚀 मिशन के प्रमुख चरण

मानवरहित मिशन (Unmanned Missions):

पहले 2 मानवरहित उड़ानें होंगी, जिनमें “मानवरूपी रोबोट – व्योममित्र” को भेजा जाएगा।

इससे सभी सिस्टम की सुरक्षा और भरोसेमंदी की जांच होगी।

मानव मिशन (Manned Mission):

इसके बाद 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर Low Earth Orbit (LEO) में भेजा जाएगा।

वे लगभग 3 दिन अंतरिक्ष में रहेंगे और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आएंगे।

रीकवरी ऑपरेशन:

भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल समुद्र में क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग और रिकवरी करेंगे।

गगनयान की उड़ान अब दूर नहीं! ISRO ने एयर ड्रॉप टेस्ट के साथ बढ़ाया एक और  कदम, सेना का मिला साथ
गनयान मिशन में ISRO ने जिस इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) को सफलतापूर्वक पूरा किया है, वह बेहद महत्वपूर्ण कदम है।

🌍 महत्व

भारत चौथा देश बनेगा (रूस, अमेरिका, चीन के बाद) जो मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा।

इससे देश की तकनीकी क्षमता, वैज्ञानिक शोध, और भविष्य के स्पेस स्टेशन या चांद-मंगल मिशनों के लिए रास्ता खुलेगा।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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