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"हे चिता की राख कर, मैंने माँगी सिंदूर: अग्निपथ पर शपथ और प्रेरणा"

"हे चिता की राख कर, मैंने माँगी सिंदूर: अग्निपथ पर शपथ और प्रेरणा"

🌟 "हे चिता की राख कर, मैंने माँगी सिंदूर..."

अमिताभ बच्चन जी ने अपनी एक पोस्ट में बहुत गहरे और भावनात्मक शब्दों में जीवन की कठिनाइयों, बलिदान और स्त्री की पीड़ा को व्यक्त किया। उन्होंने लिखा:

"जब पत्नी ने कहा—'मुझे भी मार दो', राक्षस ने उत्तर दिया—'नहीं, तू जा और जाकर बता, क्या हुआ था!'"

यह वाक्य एक गहरी पीड़ा और मानसिक स्थिति को दर्शाता है, जहाँ एक स्त्री को अपनी आंतरिक वेदना को व्यक्त करने का मौका तक नहीं मिलता। इस दर्दनाक स्थिति के बाद, बापूजी (महात्मा गांधी) की एक कविता की पंक्ति ने अमिताभ जी की यादों में एक गहरी छाप छोड़ी, जो शायद उस स्त्री की स्थिति को बयां करती हो:

"हे चिता की राख कर, मैंने माँगी सिंदूर दुनिया से, तूने दे दिया सिंदूर..."

यह कविता उस साहस, संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है जिसे किसी भी स्त्री को सामना करना पड़ता है, और साथ ही दुनिया से उस दर्द के बावजूद अपने हक की मांग करना। यह पंक्तियाँ, एक बेटी की आंतरिक शक्ति को दर्शाती हैं, जो हर परिस्थिति में अपनी पहचान और सम्मान की तलाश करती है।

"जय हिंद, जय भारत"
यह सिर्फ एक उद्घोष नहीं, बल्कि हर उस नायक-नायिका का सम्मान है जो अपने देश, अपने परिवार और अपनी मातृभूमि के लिए जीते और मरते हैं।

🔥 "अग्निपथ" - एक शपथ!

जब हम अग्निपथ (अग्नि का मार्ग) की बात करते हैं, तो यह केवल एक शारीरिक रास्ता नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक और आत्मिक यात्रा भी है। यह वह रास्ता है जो हमें अपने सिद्धांतों, अपने आत्मविश्वास और अपने हक की रक्षा के लिए अपनाना पड़ता है। जैसा कि कविता में कहा गया:

"तू न थमेगा, कभी नहीं मुड़ेगा, कभी तू न झुकेगा, कभी... शपथ कर, शपथ कर, अग्निपथ!"

यह शपथ हमें यह याद दिलाती है कि हमारे सामने चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपनी राह से नहीं भटकना चाहिए। जैसे हर वीरता का एक मार्ग होता है, वैसे ही हर शत्रु का सामना करने का एक रास्ता होता है—अग्निपथ। इस रास्ते पर चलने के लिए हमें अपनी इच्छाशक्ति और साहस को प्रबल बनाना होगा।

🚩 समाप्ति

यह पोस्ट सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि एक आह्वान है उन सभी नायकों के लिए जो अपनी आंतरिक शक्ति, बलिदान और आत्मविश्वास से दुनिया को एक नया दिशा दिखाते हैं। हर बेटा, हर बेटी, हर सिपाही, और हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह इस अग्निपथ पर चलकर अपने देश को गर्व महसूस कराए।

जय हिंद, जय भारत!

अमिताभ बच्चन जी ने अपनी एक पोस्ट में बहुत गहरे और भावनात्मक शब्दों में जीवन की कठिनाइयों, बलिदान और स्त्री की पीड़ा को व्यक्त किया।

Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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