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महिला हार्ट अटैक: ये 6 subtle लक्षण पहचानें — जब सीना नहीं, तो पसीना, बैक-पेन या थकावट हो सकती है वॉर्निंग

महिला हार्ट अटैक: ये 6 subtle लक्षण पहचानें — जब सीना नहीं, तो पसीना, बैक-पेन या थकावट हो सकती है वॉर्निंग

दिल के दौरे (हार्ट अटैक) को अक्सर हम फिल्म-सीन जैसा समझते हैं — जोर का सीने में दर्द, बाएं हाथ तक फैलता हुआ, और तुरंत अस्पताल। लेकिन भाई, असली ज़िंदगी कुछ और सिखाती है — खासकर महिलाओं के लिए।

आजकल जब Dr. Sanjay Kumar (Fortis Hospital, Faridabad) और अन्य कार्डियोलॉजिस्ट बता रहे हैं कि महिलाएं अक्सर इतना “क्लासिक” लक्षण नहीं दिखातीं, तो ये समझना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि हार्ट अटैक सिर्फ सीने का दर्द नहीं होता।

🔎 क्यों लक्षण होते हैं अलग?

महिलाओं के दिल और धमनी — दोनों की बनावट पुरुषों से थोड़ी अलग होती है। उदाहरण के लिए — उनकी कोरोनरी (दिल को रक्त पहुंचाने वाली) धमनीज़ साधारण से छोटी हो सकती हैं, और ब्लॉकेज अक्सर माइनर या माइक्रो-वेसल स्तर पर हो सकता है।

इस वजह से, ब्लॉकेज इतना बड़ा नहीं होता कि तेज “क्रशिंग” दर्द बने — बल्कि हल्की-हल्की बेचैनी, थकावट या अचानक पसीना — जो अक्सर गलत समझ लिए जाते हैं।

महिलाओं में हार्ट अटैक — 6 आम लेकिन अक्सर अनदेखे लक्षण

सीने में ज़बरदस्त दर्द नहीं, बल्कि हल्की या अस्थिर बेचैनी
कई महिलाओं को वो “भारी, दाबने वाला” क्रशिंग दर्द नहीं होता जो आमतौर पर पुरुषों में देखा जाता है। कभी-कभी सिर्फ हल्का दबाव, बेचैनी या असहजता महसूस होती है। 

बेकाप / गर्दन / जबड़ा / ऊपरी पीठ / कंधा या हाथ में दर्द
दिल की समस्या को अक्सर इन हिस्सों का दर्द बता कर अनदेखा कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए — गर्दन, जबड़ा, कंधा, ऊपरी पीठ या हाथों में दर्द। कभी-कभी ये दर्द दिन भर हल्के-हल्के बने रहते हैं या अचानक आते-जाते रहते हैं।

अचानक, बिना वजह पसीना आना (Cold/Clammy Sweat)
अगर आप बिना किसी भारी काम या गर्मी के अचानक पसीने में भीग जाएँ — वो भी ठंडे पसीने जैसा — तो इसे हल्के में मत लें। महिलाओं में यह हार्ट अटैक का एक बड़ा संकेत हो सकता है। 

साँस फूलना / सांस लेने में तकलीफ — आराम करते हुए भी
कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हल्की सी साँस फूल रही हो, या सीढ़ियाँ चढ़ने जैसा थकान — पर ये आराम के दौरान भी हो सकता है। यह भी हार्ट अटैक का हिस्सा हो सकता है, खासकर जब बाकी लक्षण साथ हों। 

असामान्य थकावट / कमजोरी / चक्कर या चक्कर आने जैसा महसूस होना
अगर रोज़ की गतिविधियों में भी अचानक बेहद थकावट, कमजोरी या चक्कर महसूस होने लगे — बिना किसी बड़ी वजह के — तो इसे हल्के में मत लेने। यह दिल की बीमारी की शुरुआत हो सकती है। 

मतली, उल्टी या पेट/एसिडिटी जैसा महसूस होना
कई बार हार्ट अटैक को लोगों ने पाचन की समस्या, एसिडिटी या गैस समझ लिया। महिलाओं में मतली, पेट में जलन या एसिडिटी जैसा महसूस होना भी चेतावनी हो सकती है।

Fortis cardiologist shares 6 ways woman's heart attack differs from man's:  Unexplained sweating, upper back pain | Health
Fortis Cardiologist Shares 6 Key Ways a Woman’s Heart Attack Differs from a Man’s

⚠️ क्यों होती है अनदेखी — और क्या है खतरा

समाज में और मेडिकल कम्यूनिटी में — “हार्ट अटैक = सीने का दर्द” की जो धारणा है, वो महिलाओं में अक्सर फिट नहीं बैठती। इस सोच की वजह से महिलाओं की शिकायतों को गलत समझ लिया जाता है — जैसे कि “बस थकावट है”, “पेट की समस्या है”, या “स्ट्रेस है”। 

इस अनदेखी का मतलब है कि महिलाओं का अस्पताल पहुँचने में — या सही इलाज पाने में — देरी हो जाती है। नतीजा — उल्टा असर, अधिक जटिलताएं और कभी-कभी जान का जोखिम।

इसके अलावा, महिलाओं की रक्त वाहिकाओं का स्वरूप (छोटे कोरोनरी वessels, माइक्रो-वेसल इश्यू) और हार्मोनल बदलाव (मेनोपॉज़ के बाद) भी ये अंतर पैदा करते हैं। 

💡 क्या करें — सचेत रहें, समझें, तुरंत कार्रवाई करें

अगर आप या आपकी कोई जानती महिला — चाहे बुज़ुर्ग हो या जवान — अचानक उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस करे (चाहे हल्का हो), उसे नज़रअंदाज मत करें

फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। हार्ट अटैक के लिए देरी खतरनाक हो सकती है।

अपनी हार्ट-हेल्थ की नियमित जांच — खासकर अगर परिवार में पहले कोई केस हो — नियमित रखें।

जीवनशैली सुधारें: खान-पान, व्यायाम, तनाव नियंत्रण आदि पर ध्यान दें।

✨ आखिर में — एक सच्ची दास्तान

हम अक्सर सोचते हैं — दिल की बीमारी सिर्फ बूढ़ों या धूम्रपान करने वालों की होगी। पर हकीकत ये है कि — मध्यम उम्र की या स्वस्थ दिखने वाली औरतें भी — अगर सही लक्षण पहचानें, अगर समय से कदम उठाएँ — वो जान बचा सकती हैं।

महिलाओं की लड़ाई अक्सर चुपचाप होती है — हल्के दर्द, पसीने, थकावट, सांस फूलना — वो सब वो मना कर देती हैं, ये सोचकर कि “थोड़ा टेंशन है”, या “बस थक गई हूँ”। लेकिन दिल की आवाज़ चुप नहीं होती — वो बस सुनने वाला चाहिए होता है।

तो, अगली बार अगर आपको, आपकी माँ, बहन या दोस्त को — कुछ भी “अजीब” लगे — गांठ बाँधें, डॉक्टर से मिलें — क्योंकि दिल को हल्का मत लें।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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