राजस्थान: 15 साल से जहरीले काले पानी से तबाही, हर बारिश में गांवों से होता है पलायन
- bySheetal
- 30 July, 2025

राजस्थान: डेढ़ दशक से बारिश में पलायन... खेत हो रहे बंजर, तबाही लाता जहरीला काला पानी
बालोतरा (राजस्थान):
राजस्थान के बालोतरा ज़िले में बसे अराबा पुरोहितान गांव सहित आसपास के कई गांव पिछले 15 वर्षों से एक भयंकर समस्या से जूझ रहे हैं — हर साल मानसून के मौसम में गांवों में जहरीला काला पानी भर जाता है, जिससे लोगों को जान बचाकर पलायन करना पड़ता है। इस बार भी 28 जुलाई को कल्याणपुर पंचायत समिति ने चेतावनी जारी की, जिसके बाद गांव के 50 से अधिक घरों में रहने वाले लगभग 300 ग्रामीणों ने गांव खाली कर दिया।
◾ कैसे आता है यह "काला पानी"?
गांववालों के अनुसार, बारिश के मौसम में आसपास की औद्योगिक इकाइयों से निकले जहरीले केमिकल और नाले का गंदा पानी मिलकर पूरे इलाके में फैल जाता है। पानी इतना विषैला होता है कि इससे फसलें बर्बाद हो जाती हैं, मिट्टी जहरीली हो जाती है, और पीने का पानी तक दूषित हो जाता है। कई बार मवेशियों की मौत भी हो चुकी है।
◾ कब से है यह समस्या?
करीब 15 साल पहले इस इलाके में औद्योगिक विकास के साथ यह समस्या शुरू हुई थी। जैसे-जैसे फैक्ट्रियों की संख्या बढ़ती गई, रासायनिक अपशिष्ट बिना ट्रीटमेंट के नालों और जलस्रोतों में बहाया जाने लगा। इसका असर तब और गंभीर हो जाता है जब भारी बारिश होती है — ये सारे केमिकल गांवों की ओर बह जाते हैं।
◾ इस साल क्या हुआ?
28 जुलाई को अचानक तेज बारिश के बाद, गांव के पास बहने वाले नाले का पानी गांव में घुस आया। जब पंचायत समिति को पता चला कि इसमें खतरनाक रसायनों की मौजूदगी है, तो उन्होंने तत्काल लोगों को गांव खाली करने की चेतावनी दी। इसके बाद ग्रामीण अपना ज़रूरी सामान लेकर पास के सरकारी स्कूल, पंचायत भवन और खुले खेतों में शरण लेने चले गए।
बुज़ुर्गों, महिलाओं और बच्चों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा। पीने के पानी की किल्लत, शौचालय की कमी और मच्छरों की भरमार ने हालात को और बदतर बना दिया।

◾ प्रशासन क्या कर रहा है?
अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। सिर्फ अल्पकालिक कदम उठाए गए हैं जैसे कि नालों की सफाई, टैंकर से पानी की सप्लाई, और लोगों को चेतावनी देना। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन और उद्योग विभाग इस पर कोई कड़ा कदम नहीं उठा रहा।
◾ गांव का भविष्य क्या?
कई ग्रामीणों ने अब अपने खेतों को छोड़ दिया है क्योंकि मिट्टी बंजर हो चुकी है। कई परिवारों ने दूसरे गांवों में पलायन कर लिया है। कुछ लोग अब स्थायी पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
यह संकट सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि मानवाधिकार और जीवन के अधिकार का मुद्दा भी बन चुका है। हर साल जहरीले पानी से पलायन करने वाले इन ग्रामीणों की कहानी, विकास की उस तस्वीर को भी उजागर करती है, जहां पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रखकर इंसानी जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
"इको-फ्रेंडली इनोवेश...
Related Post
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.