‘मानव स्पर्श कभी प्रतिस्थापित नहीं हो सकता’: अमान और अयान अली बांगश की AI, कलात्मक ईमानदारी और विरासत पर गहरी बातें
- bypari rathore
- 03 August, 2025

सरोद वादक अमान और अयान अली बांगश ने हाल ही में एक साक्षात्कार में AI और डिजिटल संगीत के बढ़ते प्रभाव के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा और मानव स्पर्श की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "मानव स्पर्श कभी प्रतिस्थापित नहीं हो सकता।" उनका मानना है कि तकनीकी विकास के बावजूद, संगीत की आत्मा और उसकी भावना को केवल मानव ही समझ सकता है। वे उस्ताद अमजद अली खान की सातवीं पीढ़ी के वंशज हैं और उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर रहे हैं। उनकी कलात्मक ईमानदारी और संगीत के प्रति समर्पण ने उन्हें संगीत जगत में एक विशेष स्थान दिलाया है।
🌟 ‘मानव स्पर्श कभी प्रतिस्थापित नहीं हो सकता’: अमान और अयान अली बांगश की AI और संगीत पर विचार
आजकल के डिजिटल युग में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और तकनीकी विकास ने कला और संगीत की दुनिया में अपनी पैठ बना ली है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख वादकों में से एक अमान और अयान अली बांगश का मानना है कि तकनीकी प्रगति के बावजूद मानव स्पर्श की अहमियत हमेशा बनी रहेगी।
🎶 AI और संगीत: एक साथ या अलग-अलग?
अमान और अयान, जिनकी संगीत यात्रा उनके पिता उस्ताद अमजद अली खान के मार्गदर्शन में शुरू हुई, का मानना है कि तकनीकी युग में बदलाव लाने वाली तकनीकों, जैसे AI, का संगीत में एक प्रभावी स्थान है, लेकिन वह कभी भी कला की आत्मा को बदलने का काम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा,
"AI संगीत को जरूर प्रभावित कर सकता है, लेकिन उसे वास्तविक मानव संवेदनाओं और आत्मा की गहराई की जगह नहीं मिल सकती। संगीत में जो भावना और मानवता है, उसे किसी मशीन से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता।"
👨👩👧👦 विरासत की अहमियत: परिवार और शिक्षा का प्रभाव
अमान और अयान अली बांगश की संगीत यात्रा केवल तकनीक और नवाचार तक सीमित नहीं है। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्राचीन और समृद्ध परंपरा का पालन करते हुए, इसे दुनिया भर में फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। वे मानते हैं कि संगीत केवल एक पेशा नहीं है, बल्कि यह एक धरोहर और संस्कार है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है।
उनका कहना है,
"हमारे पिता, उस्ताद अमजद अली खान, ने हमें न केवल संगीत के तकनीकी पहलुओं से परिचित कराया, बल्कि उन्होंने हमें संगीत के प्रति एक गहरी श्रद्धा और सम्मान भी सिखाया।"
🌍 नई पीढ़ी के संगीतकारों के लिए संदेश
अमान और अयान का मानना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को समकालीन दुनिया में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए नई पीढ़ियों को जोड़ने की आवश्यकता है। वे मानते हैं कि संगीत में ताजगी और आधुनिकता को बनाए रखते हुए उसकी शुद्धता और पारंपरिकता को भी संरक्षित करना जरूरी है।
"नई पीढ़ी को शास्त्रीय संगीत की जटिलताओं और गहराई को समझने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही उन्हें इसे अपनी आवाज़ और दृष्टिकोण के साथ नए रूप में प्रस्तुत करना होगा।" - अमान और अयान अली बांगश
🌟 मानव और तकनीक का संतुलन
यह वादक जो सरोद को अपनी कला का माध्यम मानते हैं, उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक और संगीत का एक सुंदर संतुलन स्थापित किया जा सकता है, लेकिन कभी भी मानव अनुभव की जगह कोई तकनीकी उपकरण नहीं ले सकता।
"जब तक मानव स्पर्श और संवेदनशीलता का संबंध संगीत से है, तब तक हम इसे कोई भी तकनीक से प्रतिस्थापित नहीं कर सकते।"
🔮 अगला कदम: संगीत का वैश्विक प्रसार
अमान और अयान के लिए अगला कदम भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर फैलाना है। वे विभिन्न देशों में संगीत के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जिससे भारतीय संगीत के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़े और यह दुनिया भर में और अधिक सराहा जाए।
निष्कर्ष:
अमान और अयान अली बांगश के विचार हमें यह सिखाते हैं कि संगीत की आत्मा और उसकी भावना को AI और तकनीकी नवाचार के बावजूद हमेशा जीवित रखा जा सकता है, लेकिन इसके लिए मानवता और पारंपरिकता का आदान-प्रदान बहुत जरूरी है। यह उनकी विरासत और कलात्मक ईमानदारी का प्रतीक है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएगा।

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देखिए सुष्मिता सेन...
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