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रहमान डकैत कौन था? धुरंधर में अक्षय खन्ना द्वारा निभाए गए गैंगस्टर की खौफ़नाक हकीकत

रहमान डकैत कौन था? धुरंधर में अक्षय खन्ना द्वारा निभाए गए गैंगस्टर की खौफ़नाक हकीकत

शुरुआती ज़मीन — बचपन और गिरावट का आरंभ

असली नाम था Sardar Abdul Rehman Baloch। 

वह 1975 में पैदा हुआ था, Lyari, Karachi, Sindh (पाकिस्तान) में।

उसके परिवार का बैकग्राउंड पहले से अपराध और तस्करी से जुड़ा था — उसके पिता Dad Muhammad और चाचाओं ने 1960s से ड्रग स्मगलिंग में हाथ आज़माया था। 

इसलिए, Rehman का गिरोह-जीवन शुरू होना (street crime) लगभग तय था। किशोर अवस्था में वह नशीले पदार्थों की तस्करी में जुट गया था।

पहली क्रूरता: 13 साल में पहला कत्ल, बाद में माँ की हत्या की ख़बर

कहा जाता है कि मात्र 13 साल की उम्र में Rehman ने अपनी गैंग गतिविधियों के दौरान पहली हत्या की — किसी पर चाकू से वार किया था। 

एक सबसे सनसनीखेज कहानी यह है कि 1990s में, जब वह लगभग 19-20 साल का था — उसने अपनी ही माँ, Khadija Bibi, को गला घोंट कर मारा और फिर पंखे से लटका दिया। 

यह घटनाएँ — हालांकि कुछ स्रोतों में “कथित” या “alleged” बताई जाती हैं — उसके बदनाम होने का प्रमुख आधार बनी। 

गिरोह का उदय: Haji Laloo से मुख्यमंत्री बनना, Lyari पर तानाशाही

1990s के अंत तक, Karachi के Lyari इलाके में कई गैंग सक्रिय थे। उस समय इलाका Haji Laloo नामक गैंगस्टर के अधीन था।

लेकिन जब Haji Laloo की गिरफ़्तारी हुई (2001), तो खाली हुई शक्ति vakum को भाँपते हुए Rehman ने उसके गिरोह पर कब्ज़ा कर लिया।

उसके बाद, धीरे-धीरे उसने Lyari में ड्रग तस्करी, जबरन उगाही (extortion), रंगदारी, गैंग वॉर जैसी गतिविधियाँ नियंत्रण में ले लीं। 

2000s के मध्य तक Rehman Dakait Lyari का “जान” बन चुका था — वो सिर्फ अपराधी नहीं, एक तानाशाह; जिसने क्षेत्र पर ऐसा कब्जा किया कि कानून और आम आदमी दोनों डरते थे। 

दोहरे चेहरे — “रक्षक” या “धड़कता आतंक”?

कुछ स्थानीय खातों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Rehman ने खुद को एक “लोकप्रिय सरपरस्त” (patron) के रूप में पेश किया था। उसने अस्पताल, मदरसे, स्कूल, फुटबॉल टूर्नामेंट और पार्कों में निवेश करके गरीबों में अपनी छवि बनाई — इस तरह उसने गरीब तबकों के बीच “राहत देने वाला” चेहरा दिखाया। 

इसका मतलब यह था कि गिरोह सिर्फ डर, बल और अवैध कारोबार नहीं — एक तरह की सहायक संरचना बन चुकी थी, जिन्होंने राज्य की कमी को उनके “कामों” से छुपा दिया। 

लेकिन इस ढाल के नीचे, क्रूरता में कमी कभी नहीं आई — फिर चाहे वह प्रतिस्पर्धी गिरोहों के खिलाफ हो या बेगुनाहों के खिलाफ।

राजनीतिक गठजोड़: People's Aman Committee (PAC) का गठन

2008 में, Rehman Dakait ने PAC की स्थापना की — जिसे उसने एक प्रकार की सामाजिक संस्था के रूप में पेश किया, लेकिन वास्तव में यह गिरोह-कैंप और समर्पित गैंग नेटवर्क था। 

PAC के ज़रिये उसने Lyari और आस-पास के इलाकों में अपनी पकड़ और असली ताकत दिखायी। PAC के सदस्य सिर्फ अपराधी नहीं थे — हथियारबंद गैंग थे। 

मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय लोग बताते हैं कि PAC और उस वक्त की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी, Pakistan Peoples Party (PPP) के बीच — एक अस्थिर राजनीतिक–अपराधी गठबंधन था। 

यह गठजोड़ Rehman को एक तरह की राजनीतिक सुरक्षा देता था — जिससे वह खुलकर ड्रग, हथियार तस्करी और कब्जा-व्यापार कर सकता था। लेकिन यही गठजोड़ उसके पतन की शुरुआत भी बना। 

गैंग वार, हिंसा और सिरों के खेल की दहशत

Rehman और उसके गिरोह ने 2000s में राय-सहयोगी गिरोहों (जिनमें एक प्रमुख था Uzair Baloch का “परिवार”) के साथ भयंकर टकराव किया। यह टकराव सिर्फ रंगदारी या नशीली तस्करी में नहीं था — जमीन, सत्ता, कब्ज़े, बदले और हत्या तक फैला।

कथित रूप से, ऐसी घटनाएँ हुईं जहाँ दुश्मन गिरोहों के मारे गए लोगों के सिर काटकर, उन सिरों से फुटबॉल जैसा खेल किया गया — एक तरह की दहशत और शक्ति प्रदर्शन। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में यह प्रायः उस समय की अफवाहों या कथित दावों का हिस्सा रही, लेकिन डर और आतंक का एहसास यथार्थ था। 

इस तरह की क्रूरता ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को डराया, बल्कि Lyari की बदनाम छवि और गिरोह-कंट्रोल का एक “अराजक शासन” बना दिया।

अंत और मुठभेड़ — 9 अगस्त 2009

जैसे-जैसे 2000s आगे बढ़े, Lyari में पुलिस और शासन-कदमों ने दबाव बढ़ाया। 2009 में, विशेष अभियान शुरू हुआ जिसमें गिरोहों के लिए “कृश–कार्रवाई” तय की गयी।

9 अगस्त 2009 को, एक मुठभेड़ में — पुलिस ने Rehman और उसके तीन अन्य साथियों को मौत के घाट उतार दिया। उसके पास 80 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।

उस मुठभेड़ के बाद, Lyari में एक बड़ा वक़्त-विकल्प आया। कुछ लोगों ने राहत महसूस की, क्योंकि एक तानाशाह गिर गया। लेकिन उसके गिरोह का वजूद खत्म नहीं हुआ — उसके बाद पावर वैक्यूम के कारण और भी हिंसा फैली। 

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विरासत — डर, टूटती हलचल और नई गैंग की शुरुआत

Rehman की मौत के बाद, उसके करीबी घटक — जैसे कि Uzair Baloch — ने उनकी जगह ली और गिरोह को आगे बढ़ाया। Lyari की गैंग-राजनीति, खूनी तकरारें, और अस्थिरता लगातार जारी रही। 

PAC नामक संस्था औपचारिक रूप से अस्तित्व में थी, लेकिन उसका असली मकसद गैंग कंट्रोल और अवैध कारोबार था। 

Rehman Dakait की कहानी — क्रूरता, सत्ता, अपराध, राजनीतिक संरक्षण, और अंततः गिरोह-राज के पतन — ने Lyari और Karachi की अमन-व्यवस्था, जन-जीवन और इतिहास को हमेशा-के लिए बदल कर रख दिया।

🎥 पॉपुलर संस्कृति में वापसी: Dhurandhar

2025 में रिलीज हुई फिल्म Dhurandhar में, अभिनेता Akshaye Khanna ने Rehman Dakait का रोल निभाया है।

फिल्म में Rehman की क्रूरता, घना गैंग नेटवर्क और Lyari की हिंसक दुनिया को दिखाया गया है। हालांकि, कुछ घटनाओं (जैसे सिरों से फुटबॉल) में सिनेमा ने ड्रामाटिक टेक लिया है।

जहाँ एक ओर फिल्म ने Rehman की ‘क्रूर दहशत’ को पुनर्जीवित किया, वहीं कई दर्शकों और समीक्षकों ने इसे यह कहते हुए भी नकारा कि सच्चाई जितनी भयावह थी, उतनी ही फिल्म में शायद नहीं दिखायी गयी।

✳️ समझने वाली बातें — इतिहास, मिथक और सत्य

बहुत-सी कथाएँ, जैसे माँ की हत्या या सिरों से फुटबॉल, “alleged” यानी कथित हैं — इनके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले। लेकिन लोक-कहानियाँ और मीडिया की रिपोर्ट्स में उनकी पुनरावृत्ति ने इन्हें मिथकों जैसा बना दिया।

गिरोह-राज में आम जनों की दयनीय स्थिति — जब सुरक्षा, कानून, रोज़गार सब गायब हो — ये वो भूमि थी जहाँ Rehman जैसे लोग जन्म लेते और फलते। यह सिर्फ अपराधी का निर्माण नहीं, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विफलताओं का परिणाम था।

अंत में, मुठभेड़ और आत्महत्या-जैसे दिखने वाले हत्या-कांडों ने यह प्रश्न खड़ा किया कि क्या यह “न्याय” था या सिर्फ पुराने अपराधों की कड़वी सज़ा? Lyari के लोग आज भी उस पिस्तोल की आवाज़, उस गोली की ख़ामोशी, उस डर को नहीं भूल पाए हैं।


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