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क्या है चार्ली कंपनी की वीरता की कहानी? 1962 की जंग में रचा इतिहास, मेजर शैतान सिंह फिर क्यों हैं चर्चा में

क्या है चार्ली कंपनी की वीरता की कहानी? 1962 की जंग में रचा इतिहास, मेजर शैतान सिंह फिर क्यों हैं चर्चा में

नई दिल्ली। साल 1962 की 18 नवंबर की सर्द रात… लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर बसे रेजांग ला में भारतीय सेना की चार्ली कंपनी ने ऐसा इतिहास रचा, जिसे सुनकर आज भी हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। यह वही जगह है जहां मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में 120 वीर जवानों ने चीन की विशाल सेना से लोहा लिया और आखिरी सांस तक लड़ते रहे।

चार्ली कंपनी ने लगभग 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया, जबकि खुद के 114 जवान शहीद हो गए। मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी वीरता और नेतृत्व आज भी भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

 मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में 120 वीर जवानों ने चीन की विशाल सेना से लोहा लिया और आखिरी सांस तक लड़ते रहे।

65 साल बाद फिर चर्चा में आने की वजह यह है कि मेजर शैतान सिंह और चार्ली कंपनी की गाथा पर नई डॉक्यूमेंट्री, फिल्म और लेख सामने आ रहे हैं। इसके अलावा, भारत-चीन सीमा पर हालिया तनाव के बीच लोग फिर रेजांग ला की लड़ाई को याद कर रहे हैं।

इतिहासकारों के अनुसार, यह लड़ाई सिर्फ एक जंग नहीं थी, बल्कि भारतीय जज्बे, शौर्य और बलिदान की अमिट मिसाल थी। आज भी रेजांग ला में बनी चार्ली कंपनी की याद में शहीद स्मारक हर भारतीय को उन रणबांकुरों की याद दिलाता है, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

मेजर शैतान सिंह भाटी की वीरता आज भी हमें याद दिलाती है कि सच्चा हीरो वह है जो आखिरी सांस तक डटा रहे, चाहे दुश्मन कितना ही बड़ा क्यों न हो।


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