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रुपया 90 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर: क्या यह RBI की सोची-समझी चाल है या नियंत्रण खोने का संकेत?

रुपया 90 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर: क्या यह RBI की सोची-समझी चाल है या नियंत्रण खोने का संकेत?

रुपया जब 90 पर छुआ, तो देश की हवा भी थोड़ी भारी लगने लगी।
जैसे किसी पुराने पहाड़ का संतुलन हिल जाए—धीमे-धीमे, पर दिखने योग्य।
इतिहास में पहली बार भारतीय मुद्रा इतनी नीचे फिसली, और लोगों के बीच वही पुरानी चर्चा फिर चमकने लगी—
“क्या ये RBI की सोची-समझी चाल है, या अर्थव्यवस्था की लगाम किसी ने सच में ढीली छोड़ दी है?”

चलो इसे दिल खोलकर समझते हैं—बिना घुमाए, बिना सजाए।
सीधी बात… पर थोड़ी shayari of reality के साथ।

1. गिरावट का वह पल—90 की दहलीज़ पर रुपये की लड़खड़ाहट

सुबह जब बाजार खुले, किसी को अंदाज़ा नहीं था कि दिन इतिहास लिख देगा।
टिकटर्स पर अचानक एक चमकता हुआ नंबर उभरा—90.00
और देश जरा-सा थम गया।

यार, 90 कोई आम आंकड़ा नहीं।
ये वैसा है जैसे घर की दीवार अचानक मेंढ़क के रंग की हो जाए—नज़र हटती ही नहीं।

फॉरेक्स बाजार में हलचल, बड़े निवेशकों की बेचैनी, छोटे व्यापारियों की उलझन और आम आदमी की वही पुरानी उहापोह—
“डॉलर इतना महंगा क्यों?”

2. क्या यही RBI का hidden master-move था?

कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि RBI ने जानबूझकर ज्यादा हस्तक्षेप नहीं किया।
क्यों?

क्योंकि—

1. गिरता रुपया = बढ़ता निर्यात

आयात महंगा, निर्यात सस्ता।
भारत की कई उद्योग—टेक्सटाइल, केमिकल, फार्मा—इसी सस्ते रुपये के दम पर दुनिया में अटकते दम को फिर पकड़ सकती हैं।

2. Forex reserves को बचाना जरूरी

RBI अभी हर गिरावट पर डॉलर बेचकर आग बुझाने के मूड में नहीं है।
उनके पास भी समझदारी वाली old-school wisdom है—
"हर तूफान में नाव नहीं चलाते, कभी-कभी बस किनारे पर बैठकर पानी का मिज़ाज देखते हैं।"

3. US Fed की चालें हर किसी को झुका ही देती हैं

जब दुनिया का बाप (US dollar) अकड़ कर चलता है, तो बाकी करेंसी खुद-ब-खुद पीछे हटती हैं।
RBI ये बात समझता है—और हर लड़ाई लड़ना जरूरी नहीं।

3. या फिर RBI का कंट्रोल वाकई ढीला पड़ रहा है?

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ये मूव एक संकेत है—
अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।

सच भी है—

1. आयात बिल आसमान छू रहा है

तेल महंगा, सोना महंगा, इलेक्ट्रॉनिक्स महंगा।
भारत आयात पर बहुत निर्भर है।
जब आयात बढ़ता है, डॉलर की मांग बढ़ती है, और रुपया वैसे ही पिघलने लगता है जैसे कोयले पर छोड़ी मोम-बत्ती।

2. विदेशी निवेशक “सुरक्षित ठिकाने” की तलाश में

और यार, safe haven तो डॉलर ही है।
जैसे exam time में हर student वही friend ढूंढता है जिसकी notebook का syllabus सबसे साफ हो।

3. घरेलू महंगाई पहले से ही चुभ रही है

रुपया गिरते ही महंगाई और तेज दौड़ती है।
ये जनता जानती है… और RBI भी।

4. देश की जेब पर पड़ने वाला असर—तीखा और सचमुच चुभता हुआ

चलो practical बात करते हैं।
जब रुपया 90 पर जाता है, ये चीजें तो पक्के तौर पर महंगी होंगी—

पेट्रोल, डीज़ल

मोबाइल फोन

लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक्स

विदेश यात्राएँ

एलपीजी

विदेश में पढ़ाई

और यार, inflation का तो जिक्र ही मत करो…
ये वैसे ही बढ़ता है जैसे group chat में forwarded सलाहें—
कभी खत्म ही नहीं होतीं।

5. क्या ये crisis है या सिर्फ “economic adjustment”?

Old-school wisdom कहती है—
“मुद्रा हमेशा सीधी लाइन में नहीं चलती; कभी-कभी पीछे हटना भी आगे बढ़ने का तरीका होता है।”

Gen-Z logic कहता है—
“Bro, अगर बार-बार पीछे हट रही है, तो कुछ तो गड़बड़ है।”

सच बीच में कहीं है।

ये crisis नहीं… पर चिंता की घंटी जरूर है।

RBI अभी भी reserves के दम पर कई महीने तक गिरावट संभाल सकता है।

बैंकिंग सिस्टम स्थिर है।

भारत की growth अभी भी दुनिया में तेज है।

पर रुपया 90 पर पहुंचना मुस्कुराकर ignore करने वाली चीज नहीं है।

Rupee hits record low of 90: Calculated move by RBI or a sign of losing  control? - The Hindu
Rupee Falls to Record 90: Strategic Move by RBI or a Sign of Slipping Control?

6. आगे क्या हो सकता है? (भविष्य की 4 मुख्य राहें)

1. RBI अचानक इंटरवेंशन कर सकता है

डॉलर बाजार में फेंककर कीमत गिरा सकता है।

2. सरकार कुछ policy सुधार तेज कर सकती है

FDI, manufacturing, MSME boosts—सबकी चर्चा गर्म है।

3. रुपया 92–94 की तरफ भी जा सकता है

अगर global market unstable रहे तो।

4. या फिर 88–89 पर वापस लौट सकता है

अगर foreign inflows बढ़े, oil prices शांत रहें।

7. Global market की role—भाई, दुनिया चल रही है तो रुपये पर असर तो पड़ेगा ही

अमेरिका में interest rate बढ़ता है → डॉलर मजबूत

मध्य-पूर्व तनाव → तेल महंगा

चीन का बाजार धीमा → भारतीय निर्यात दबाव में

यूरोप में recession की आहट → फॉरेक्स प्रवाह कम

ये सब मिलकर रुपये की हालत वैसे ही बिगाड़ देते हैं जैसे रात की नींद एक खराब notification बिगाड़ देती है।

8. सामान्य लोगों को क्या करना चाहिए? Practical advice (सीधी बात)

Savings diversify करो। FD, gold, mutual funds—mix रखो।

Foreign products avoid करो जहां possible हो।

Fuel consumption कम करो।

लोन लेने से पहले interest fluctuation समझ लो।

Emergency fund strong रखो।

9. अंतिम निष्कर्ष—सच्चाई बिना sugar-coat

रुपया 90 पर है।
ये एक milestone भी है और warning bell भी।
कहीं RBI की calculated chess-move है…
तो कहीं बाजार की uncontrollable लहरें।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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