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अजीब विसंगति! राजस्थान के इस सरकारी स्कूल में 7 बच्चों पर 12 शिक्षक, शिक्षा मंत्री ने दिया बयान

अजीब विसंगति! राजस्थान के इस सरकारी स्कूल में 7 बच्चों पर 12 शिक्षक, शिक्षा मंत्री ने दिया बयान

जयपुर/झुंझुनूं। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती को लेकर एक चौंकाने वाला और चिंताजनक मामला सामने आया है। राज्य के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम होने के बावजूद शिक्षकों की संख्या अत्यधिक है, जबकि इसके विपरीत, बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल भी हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, या जहां शिक्षकों की भारी कमी है। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था में गंभीर असंतुलन को उजागर करती है।

इस विसंगति का सबसे प्रमुख उदाहरण झुंझुनूं जिले के रायपुर अहीरान स्थित राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल से आया है। यहां की स्थिति वाकई हैरान करने वाली है। इस स्कूल में वर्तमान में सिर्फ 7 छात्र नामांकित हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए 12 शिक्षक तैनात हैं। स्कूल में कई कक्षाएं खाली पड़ी हैं और इन 12 शिक्षकों के वेतन पर सालाना लगभग 10 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। यह स्थिति सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का एक स्पष्ट उदाहरण है।

यह समस्या केवल झुंझुनूं तक सीमित नहीं है। राज्य के अन्य हिस्सों से भी ऐसे मामले सामने आए हैं। अलवर जिले के मूंडिया गांव के प्राथमिक स्कूल में सत्र की शुरुआत में 3 छात्र थे, लेकिन वे भी सत्र के बीच में स्कूल छोड़ गए। नतीजतन, वहां तैनात शिक्षक को दूसरी जगह स्थानांतरित करना पड़ा। दौसा जिले के गरस्या ढाणी सीकरी स्कूल में सिर्फ 2 छात्रों के लिए 2 शिक्षिकाएं तैनात हैं। टोंक जिले के कल्याण नगर में 9 बच्चों पर 2 शिक्षक हैं, जबकि करौली जिले के नयापुरा आगिर्री में 4 बच्चों के लिए 2 शिक्षक तैनात हैं।

एक तरफ जहां कुछ स्कूलों में छात्रों की तुलना में शिक्षकों की संख्या बहुत अधिक है, वहीं राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे सरकारी स्कूल भी हैं जो एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। यह उन छात्रों के लिए एक गंभीर चुनौती है जो इन स्कूलों में पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें सभी विषयों के लिए पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इसके अलावा, यह स्थिति आस-पास के उन स्कूलों के लिए भी समस्या पैदा करती है जहां छात्रों की संख्या अच्छी है, लेकिन शिक्षकों की कमी है।

इस पूरे मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने संज्ञान लिया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती में इस तरह का असंतुलन एक गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि विभाग इस स्थिति को सुधारने के लिए काम करेगा। शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों के तर्कसंगत समायोजन और जहां आवश्यकता है वहां शिक्षकों की तैनाती पर जोर दिया है। उन्होंने संकेत दिया कि इस विसंगति को दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे ताकि सरकारी संसाधनों का प्रभावी उपयोग हो सके और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

इस स्थिति से स्पष्ट है कि राजस्थान के शिक्षा विभाग को शिक्षकों के पदस्थापन और स्थानांतरण नीति की समीक्षा करने और उसमें सुधार करने की आवश्यकता है। छात्रों की संख्या और स्कूल की वास्तविक आवश्यकता के आधार पर शिक्षकों का तर्कसंगत वितरण सुनिश्चित करना समय की मांग है, ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सके और संसाधनों का सही उपयोग हो सके। विभाग के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि कैसे इस असंतुलन को दूर कर सभी छात्रों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर प्रदान किया जाए। शिक्षा मंत्री के आश्वासन के बाद अब देखना होगा कि इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।


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