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महारानी सीता देवी: जिसने शादी तोड़ने के लिए बदला धर्म, बनीं ₹24000 करोड़ की रियासत की रानी और फिजूलखर्ची में गंवाई गद्दी

महारानी सीता देवी: जिसने शादी तोड़ने के लिए बदला धर्म, बनीं ₹24000 करोड़ की रियासत की रानी और फिजूलखर्ची में गंवाई गद्दी

🗞️ महारानी सीता देवी – जीवन का सफ़र

जन्म और पहली शादी

सीता देवी का जन्म पिथापुरम राजघराने में हुआ। प्रारंभ में उनकी शादी वय्यु려ू के ज़मींदार मेका रंगैया अप्पा राव बहादुर से हुई, और उनके एक पुत्र राज वीद्युत कुमार अप्पा राव थे

प्रेम और धर्म परिवर्तन

 बड़ौदा की महारानी सीता देवी

1943 में मद्रास रेस पर उन्होंने बारोडा के महाराजा प्रताप सिंह गायकवार से मुलाक़ात की। महाराजा, जो उस समय दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शासकों में से थे, तुरंत उनकी खूबसूरती के दीवाने हो गए। लेकिन सीता देवी पहले से विवाहित थीं, और दो विवाह भारतीय कानून के हिसाब से संभव नहीं थे।
महाराजा के कानूनी सलाहकारों ने उन्हें सलाह दी कि धर्म परिवर्तन कर वे इस बंधन से मुक्त हो सकती हैं। उन्होंने इस्लाम कबूल किया और हिन्दू पति से विवाह स्वतः समाप्त हुआ ।

दूसरी शादी और शाही जीवन

प्रेम कहानी की चर्चाएं

31 दिसंबर 1943 को उनकी दूसरी शादी महाराजा गायकवार से हुई। इस विवाह से उन्हें महारानी की गरिमा मिली, और उन्होंने बारोडा की रियासत के तमाम शाही विलासिताओं का आनंद उठाया। उन्होंने फैंसी पार्टियों का आयोजन किया, विदेशी यात्रा की, और यूरोप—विशेषकर मोनैको में अपना बंगला स्थापित किया ।

फिजूलखर्ची और पतन

उनकी शाही शौकियाना खर्चों ने महाराज और राज्य की कोष भर को हिला दिया—हीरे-जवाहरात, क़र्ज़ और विलासिता में तुरुप की चाल चली। 1951 में भारत सरकार ने उन्हें और महाराज को पदच्युत किया, और 1956 में उनका तलाक हुआ ।

निजी दुःख और अंत

उनके बेटे का नशे की लत और बाद में आत्महत्या ने उनका जीवन और भी ग़मगीन बना दिया। सीता देवी अंततः यूरोप में रही, जहाँ उन्होंने अपने शाही अतीत की यादों के साथ जीवन बिताया और 1989 में उनका निधन हुआ ।

✨ संक्षेप – राजसी रानी की कहानी

पहलूविवरण
वास्तविक नामसीता देवी
प्रथम पतिमेका रंगैया अप्पा राव (वय्युुरू ज़मींदार)
धर्म परिवर्तनहिन्दू → इस्लाम (उन्होंने यह परिवर्तन अपनी पहली शादी तोड़ने के लिए किया)
द्वितीय पतिमहाराजा प्रताप सिंह गायकवार (बारोडा)
स्तिथिविश्व की दूसरी सबसे समृद्ध भारतीय रियासत की महारानी
शौकविदेशी यात्रा, भव्य संबंध, शाही पार्टी—हीरे-जवाहरात, कोष वश में गंभीर गिरावट
अंतस्थिति बिगड़ने के बाद तलाक, आत्मकथा दुःख—और यूरोपीय निर्वासित जीवन

 

महारानी सीता देवी की कहानी है प्रेम, राज्यशक्ति, शाही विलासिता, धर्म परिवर्तन, और व्यक्तिगत त्रासदियों की—एक ऐसी शख़्सियत, जिसने अपनी हर प्राथमिकता के लिए जी-तोड़ा… लेकिन उसे राजगद्दी भी छिन गई।


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