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जन्माष्टमी व्रत: क्या सागर करना ज़रूरी है या सात्विक भोजन से भी खुल सकता है उपवास?

जन्माष्टमी व्रत: क्या सागर करना ज़रूरी है या सात्विक भोजन से भी खुल सकता है उपवास?

जानने योग्य बातें:

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जन्माष्टमी व्रत: क्या सागर करना ज़रूरी है या सात्विक भोजन से भी खुल सकता है उपवास?

परंपरा
परंपरागत रूप से कई लोग फलाहार या सागर करते हैं, जिसमें अनाज, दाल, चावल, गेहूं आदि नहीं खाए जाते। इसके बजाय फल, दूध, दही, सूखे मेवे, कुट्टू/सिंघाड़े का आटा, आलू जैसी चीज़ें ली जाती हैं।

धार्मिक दृष्टि से
शास्त्रों में उपवास का मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा, भक्ति और संयम है, न कि सिर्फ़ खाने की पाबंदी।
इसलिए उपवास का तरीका लचीला है — भक्ति भाव से किया गया कोई भी व्रत मान्य है

अगर स्वास्थ्य कारणों से ज़रूरी हो
बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं या जिनको स्वास्थ्य समस्याएं हैं, वे सामान्य खाना खाकर भी व्रत रख सकते हैं, बस उसमें सादगी और सात्विकता होनी चाहिए (प्याज-लहसुन, मांसाहार, शराब आदि से परहेज़)।

व्रत खोलने का तरीका
अष्टमी की मध्यरात्रि या अगले दिन प्रातः, भगवान का पूजन, भोग और आरती के बाद व्रत खोला जाता है। यह फलाहार से हो सकता है या सात्विक भोजन से।

मतलब — सागर करना अनिवार्य नहीं है, यह आपकी आस्था और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है।


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