Follow Us:

Stay updated with the latest news, stories, and insights that matter — fast, accurate, and unbiased. Powered by facts, driven by you.

भारत-फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ की राफेल मरीन डील पर हस्ताक्षर, INS विक्रांत को मिलेगी नई ताकत

भारत-फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ की राफेल मरीन डील पर हस्ताक्षर, INS विक्रांत को मिलेगी नई ताकत

भारत-फ्रांस डील: भारतीय नौसेना को मिले 26 राफेल मरीन जेट, 63,000 करोड़ की डील पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली:
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत करते हुए सोमवार को एक बड़ा समझौता हुआ है। दोनों देशों ने 63,000 करोड़ रुपये की लागत से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की खरीद पर औपचारिक हस्ताक्षर कर दिए हैं। ये विमान विशेष रूप से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत INS विक्रांत के लिए होंगे।

🚀 क्या है खास:

26 Rafale M (Marine) जेट्स: फ्रांसीसी डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित, यह फाइटर जेट नौसेना के लिए खास डिज़ाइन किया गया है।

INS विक्रांत पर तैनाती: भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत से ऑपरेट होंगे।

मिग-29K का पूरक: वर्तमान में नौसेना मिग-29K का उपयोग करती है, जो अब राफेल M के साथ कार्य करेगा।

पहले से वायुसेना में 36 राफेल: जो अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर तैनात हैं।

अब कुल 62 राफेल: नए डील के साथ भारत के पास 62 राफेल फाइटर होंगे।


राफेल मरीन की खासियत

 

  • एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है राफेल मरीन
  • राफेल मरीन विमान एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। पाकिस्तान के पास मौजूद ए-16 और चीन के पास मौजूद जे-20 विमानों से राफेल ज्यादा बेहतर है। ये विमान अपनी अपनी उड़ान वाली जगह से 3700 किलोमीटर दूर तक हमला कर सकता है।
  • इसको विमानवाहक युद्धपोत के लिए खास तैयार किया गया है। यह दुश्मनों के रडार को चकमा देने में सक्षम है। राफेल विमान हिमालय के ऊपर बेहद सर्द मौसम में भी उड़ सकता है।
  • इस फाइटर जेट के वजन की बात करें तो राफेल की तुलना में राफेल मरीन का वजन थोड़ा अधिक है। जानकारी के मुताबिक, इस लड़ाकू विमान का वजन लगभग 10,300 किलोग्राम है। राफेल विमान के विंग्स मुड़ नहीं सकते हैं, लेकिन राफेल मरीन के विंग्स पूरी तरह से मुड़ सकते हैं।
राफेल मरीन विमान एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है।

📈 रणनीतिक महत्व:

यह डील न केवल भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि हिंद महासागर और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की स्ट्रेटेजिक डिटरेंस (रणनीतिक प्रतिरोध) को भी मजबूत करेगी। फ्रांस के साथ यह साझेदारी वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा क्षमताओं को एक नया आयाम देती है।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

Share: