“आई लव यू”: बाबा ने छात्रा को “बेबी” मैसेज भेजे, फिर डरावनी धमकियाँ — दिल्ली में मामला दर्ज
- byAman Prajapat
- 26 September, 2025
नई दिल्ली — एक ऐसा मामला सामने आया है जो भरोसे, शक्ति और डर की जटिल बुनावट को उजागर करता है। स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती (उर्फ पार्थ सरथी), जो श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट, वसंत कुंज से जुड़े हैं, उन पर कई गंभीर आरोप दर्ज हो चुके हैं। एफआईआर में बताया गया है कि एक श्रृंखला है — प्यार भरे संदेशों से शुरू होकर धमकियों और शोषण तक।
आरोपों की रूपरेखा
कई छात्राओं ने बताया कि अक्टूबर 2024 में प्रवेश लेने के बाद ही स्वामी ने उन्हें व्हाट्सएप पर “बेबी,” “आई लव यू,” “आई अडोर यू,” “तुम आज खूबसूरत लगती हो” जैसे प्रेमवाचक संदेश भेजे।
एक छात्रा का दावा है कि दीवाली से पहले उसे बुलाया गया और स्वामी ने उसे अजीब नज़र से देखा।
जब छात्रा को हॉस्टल में हल्की चोंट लगी, तब स्वामी ने कहा कि वह उसका एक्स-रे रिपोर्ट उसके निजी नंबर पर भेजे। और उसी के बाद वह संदेशों की बाढ़ शुरू हुई।
आरोप है कि यदि छात्राएँ जवाब नहीं देतीं या न माना करतीं, तो उन्हें परीक्षा में कम अंक दिए जाने की धमकी दी गई।
होली के अवसर पर छात्राओं को पहले स्वामी को रंग लगाने के लिए कहा गया। और जब वे उनके कार्यालय जाती थीं, तो रिकॉर्डिंग व आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं।
जून 2025 की एक ट्रिप में, छात्राओं को रात के किसी समय बुलाकर आपत्तिजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा, ऐसा आरोप है।

साजिश, दबाव और सबूत मिटाने के आरोप
तीन महिला कर्मचारियों (श्वेता, भावना, काजल) पर छात्राओं को मैसेज मिटाने और माफी का मेल तैयार कराने का दबाव डालने का आरोप है।
व्हाट्सएप चैट्स में यह धमकी भी पाई गई कि यदि वह न माने तो उनके अंक काट दिए जाएंगे।
पुलिस का कहना है कि स्वामी ने CCTV फुटेज में छेड़छाड़ की हो सकती है और डिजिटल ट्रेल मिटाने की कोशिश की हो सकती है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, विभिन्न राज्यों में पुलिस टीमें सक्रिय हो गई हैं और एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
व्यापक प्रभाव और प्रश्न
यह मामला सिर्फ एक स्कैंडल नहीं है — यह उन असमानताओं, संस्थागत चुप्पी और शक्ति दुरुपयोगों को उजागर करता है:
छात्राओं की संवेदनशीलता: दर्ज शिकायतों में अधिकांश महिलाएँ आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की बताई गई हैं, जिन पर दबाव ज्यादा हो सकता रहा।
आधिकारिक आचरण का दुरुपयोग: एक धार्मिक / आध्यात्मिक पद स्वामी को विशेष प्रभाव देता था, जिसे उन्होंने छात्राओं के प्रति दुष्प्रयोग किया।
संस्थागत समर्थन या खामोशी: कर्मचारियों का आरोपियों की मदद करना, शिकायत दबाने की कोशिश करना — यह विश्वासघात है।
न्याय व्यवस्था की कसौटी: अब देश देख रहा है कि क्या इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा, मुकदमा चलेगा और न्याय मिलेगा।
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