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गोवर्धन पूजा 2025: भगवान कृष्ण, अन्नकूट और गोवर्धन पर्वत की पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा 2025: भगवान कृष्ण, अन्नकूट और गोवर्धन पर्वत की पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा – महत्व, कारण, तरीका और समय

गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?

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गोवर्धन पूजा 2025: भगवान कृष्ण, अन्नकूट और गोवर्धन पर्वत की पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है, दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना को याद करना है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब इंद्र देव ने गोकुलवासियों पर लगातार बारिश करके उन्हें दंडित करना चाहा, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और गांववालों व पशुओं को बारिश से बचाया। इस घटना के बाद गोकुलवासियों ने इंद्र पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू किया।

गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है?

तैयारी – घर या आंगन को साफ करके रंगोली और फूलों से सजाया जाता है।

गोवर्धन पर्वत का प्रतीक – गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का छोटा रूप बनाते हैं, जिसे फूल, पत्तियों और रंगों से सजाया जाता है।

अन्नकूट भोग – विभिन्न प्रकार के पकवान, मिठाइयाँ और अनाज भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।

आरती व कथा – श्रीकृष्ण की कथा सुनाई जाती है और आरती की जाती है।

प्रदक्षिणा – गोवर्धन पर्वत के प्रतीक की सात बार परिक्रमा की जाती है।

भोजन वितरण – पूजा के बाद प्रसाद और अन्नकूट का भोजन सभी में बांटा जाता है।

गोवर्धन पूजा कब आती है?

यह दीपावली के अगले दिन, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है।

2025 में गोवर्धन पूजा 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को होगी।


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