Follow Us:

Stay updated with the latest news, stories, and insights that matter — fast, accurate, and unbiased. Powered by facts, driven by you.

स्वायत्तता से केंद्रीय नियंत्रण तक: ISI विधेयक 2025 में 'राष्ट्रीय विकास' का संदर्भ हटाया गया

स्वायत्तता से केंद्रीय नियंत्रण तक: ISI विधेयक 2025 में 'राष्ट्रीय विकास' का संदर्भ हटाया गया

भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) विधेयक 2025 का मसौदा हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया है। इस मसौदे ने संस्थान की स्वायत्तता और उसके उद्देश्य को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए हैं, जो नीति निर्माताओं, अकादमिकों और विशेषज्ञों के बीच व्यापक चर्चा का विषय बने हुए हैं।

ISI का ऐतिहासिक महत्व

ISI भारत के सांख्यिकी क्षेत्र का सबसे प्रमुख संस्थान है, जिसकी स्थापना 1931 में हुई थी। इसकी भूमिका न केवल डेटा संग्रहण और सांख्यिकीय विश्लेषण तक सीमित रही है, बल्कि यह नीति निर्माण, राष्ट्रीय परियोजनाओं और विकास योजनाओं के लिए आधारभूत आंकड़े प्रदान करता रहा है। दशकों तक ISI ने सरकार और सार्वजनिक नीति में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मसौदा विधेयक 2025 में प्रमुख बदलाव

हालिया मसौदे में ISI की स्वायत्तता को सीमित करने की दिशा में स्पष्ट कदम उठाए गए हैं। सबसे उल्लेखनीय बदलाव ‘राष्ट्रीय विकास’ के संदर्भ को हटाना है। यह बदलाव संकेत देता है कि संस्थान की भूमिका अब केवल सांख्यिकीय अनुसंधान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसे सरकार के रणनीतिक निर्णयों में अधिक सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा।

इसके अलावा, मसौदा केंद्रीय नियंत्रण को बढ़ावा देता है। प्रशासनिक और वित्तीय निर्णयों में मंत्रालय के हस्तक्षेप की संभावना बढ़ गई है, जिससे ISI की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

विशेषज्ञ और अकादमिक प्रतिक्रिया

इस मसौदे पर विशेषज्ञों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कई शिक्षाविदों और सांख्यिकी विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि केंद्रीय नियंत्रण बढ़ने से निष्पक्ष और स्वतंत्र सांख्यिकी की प्रथा प्रभावित हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया है कि सरकारी हस्तक्षेप नीति निर्माण के लिए डेटा की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है।

The politics of democratic planning in postcolonial India

वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे सकारात्मक बदलाव के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि केंद्रीय नियंत्रण नीति निर्माण में त्वरित निर्णय और डेटा आधारित कार्रवाई की सुविधा दे सकता है, जिससे विकास योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ सकती है।

सार्वजनिक परामर्श और लोकतांत्रिक प्रक्रिया

केंद्र सरकार ने इस मसौदे के जारी होने के बाद सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया भी शुरू की है। नागरिक, शोधकर्ता, नीति निर्माता और अन्य हितधारक अपने सुझाव और टिप्पणियां इस मसौदे पर भेज सकते हैं। यह कदम लोकतंत्र में पारदर्शिता और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

संभावित प्रभाव और भविष्य

ISI विधेयक 2025 के लागू होने से संस्थान की भूमिका और कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव की संभावना है। केंद्रीय नियंत्रण के बढ़ने से डेटा संग्रहण, विश्लेषण और नीति सलाह देने के तरीकों में परिवर्तन आ सकता है। यह बदलाव न केवल संस्थान के भीतर प्रशासनिक संरचना को प्रभावित करेगा, बल्कि व्यापक स्तर पर राष्ट्रीय नीति निर्माण, विकास योजनाओं और शोध परियोजनाओं पर भी असर डालेगा।

निष्कर्ष

ISI विधेयक 2025 का मसौदा भारतीय सांख्यिकी संस्थान के भविष्य और उसकी स्वायत्तता के लिए एक निर्णायक मोड़ है। ‘राष्ट्रीय विकास’ के संदर्भ को हटाने और केंद्रीय नियंत्रण को बढ़ाने के कदम से संस्थान की भूमिका नीति निर्माण में अधिक प्रभावशाली हो सकती है, लेकिन इससे स्वतंत्र सांख्यिकी और निष्पक्ष डेटा विश्लेषण पर भी सवाल उठ सकते हैं।

इस मसौदे की अंतिम रूपरेखा और कार्यान्वयन आने वाले समय में स्पष्ट करेगी कि क्या ISI वास्तव में नीति निर्माण का एक सहयोगी बनेगा या स्वतंत्र सांख्यिकी की पारंपरिक भूमिका में बदलाव आएगा।

 


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

Share: