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परमाणु बम का ऐसा परीक्षण करेंगे Donald Trump, न धरती कांपेगी और न धमाका होगा

परमाणु बम का ऐसा परीक्षण करेंगे Donald Trump, न धरती कांपेगी और न धमाका होगा

🌎 परमाणु बम का ऐसा टेस्ट करेंगे डोनाल्ड ट्रंप — न धरती कांपेगी, न धमाका होगा

वॉशिंगटन, 4 नवंबर 2025 — अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि देश फिर से परमाणु हथियार परीक्षण (Nuclear Testing) शुरू करेगा। लेकिन इस बार का परीक्षण अब तक हुए सभी परमाणु टेस्ट से बिल्कुल अलग होगा — इसमें कोई धमाका नहीं होगा और न ही धरती कांपेगी

💡 क्या है नया “नो-एक्सप्लोजन” टेस्ट?

अमेरिका की ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोम (Jennifer Granholm) और नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (NNSA) के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ये परीक्षण केवल “सबक्रिटिकल टेस्ट” होंगे।
इसका मतलब है कि इसमें परमाणु बम या यूरेनियम/प्लूटोनियम का विस्फोट नहीं होगा, बल्कि वैज्ञानिक हथियारों के घटकों और तकनीकी प्रणालियों की जांच करेंगे।

यानी यह ऐसा परीक्षण होगा जिसमें परमाणु प्रतिक्रिया शुरू नहीं होगी, पर सभी सेंसर और डेटा सिस्टम को उसी तरह से जांचा जाएगा जैसे वास्तविक बम परीक्षण में किया जाता है।

⚛️ उद्देश्य क्या है?

इन परीक्षणों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका के पुराने परमाणु हथियार सुरक्षित, प्रभावी और विश्वसनीय बने रहें — बिना किसी वास्तविक धमाके के।
इस प्रकार का परीक्षण “Subcritical Nuclear Test” कहलाता है और इसे भूमिगत सुरक्षित प्रयोगशालाओं में किया जाएगा।

🇺🇸 ट्रंप प्रशासन की मंशा

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका को “अपने परमाणु हथियारों की विश्वसनीयता पर खुद भरोसा होना चाहिए, न कि किसी विदेशी आश्वासन पर।”

Trump Orders US Nuclear Test: अमेरिका ने 1000 बार किया परमाणु परीक्षण, अब  ट्रंप फिर से क्यों चाहते हैं दुनिया हिला देना?


ट्रंप ने यह भी कहा कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने और “नई तकनीक पर नियंत्रण बनाए रखने” के लिए ज़रूरी है।

🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

हालांकि ट्रंप के इस फैसले से रूस, चीन और संयुक्त राष्ट्र के कुछ सदस्य देशों ने चिंता जताई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि “नो-एक्सप्लोजन” परीक्षण भले ही परमाणु संधियों (CTBT) का उल्लंघन न करे, लेकिन इससे वैश्विक हथियार दौड़ को बढ़ावा मिल सकता है।

⚙️ क्या कहती है अमेरिकी सरकार?

अमेरिकी ऊर्जा विभाग के अनुसार —

“इन परीक्षणों में कोई विस्फोट नहीं होगा। यह केवल डेटा वैलिडेशन के लिए किया जा रहा है ताकि हथियारों की उम्र, स्थिरता और डिजाइन में किसी भी त्रुटि का पता लगाया जा सके।”

🔍 निष्कर्ष

अमेरिका का यह फैसला दुनिया के परमाणु कार्यक्रमों की दिशा में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
भले ही इसमें धमाका न हो, लेकिन यह कदम बताता है कि अमेरिका अपनी परमाणु तकनीक को आधुनिक बनाने की दिशा में गंभीर है।


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