Follow Us:

Stay updated with the latest news, stories, and insights that matter — fast, accurate, and unbiased. Powered by facts, driven by you.

बिहार चुनाव: जीतन राम मांझी का आरोप — NDA ने हम-एस को सिर्फ ‘कंजूसी’ दिखा कर छह सीटें दीं, बिना विरोध के चुप रहे

बिहार चुनाव: जीतन राम मांझी का आरोप — NDA ने हम-एस को सिर्फ ‘कंजूसी’ दिखा कर छह सीटें दीं, बिना विरोध के चुप रहे

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चलते राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट-बंटवारे का मसला सुर्ख़ियों में है, और इस बार हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) यानी HAM-S के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने खुलकर अपनी नाराज़गी व्यक्त की है। उनके तेवर गहरे हैं — उन्होंने NDA के नेतृत्व पर आरोप लगाया है कि उन्हें उनकी सही हिस्सेदारी नहीं दी गई और यह कंजूसी, रणनीति में कमी के साथ-साथ उनकी पार्टी के प्रति उपेक्षा का संकेत है।

मांझी की नाराज़गी की जड़

मांझी ने कहा है कि उनकी पार्टी 15 सीटों की मांग कर रही थी, लेकिन गठबंधन ने सिर्फ 6 सीटें दीं।  

उनके मुताबिक, यह सिर्फ संख्या का सवाल नहीं है—“6 सीट देकर हमारे महत्व को कम करके आँका गया है।”  

उन्होंने चेतावनी दी है कि इस तरह की “कंजूसी” NDA को चुनाव में महंगी पड़ सकती है।  

मांझी ने कहा, “जो आलाकमान ने फैसला किया है, हम उसको स्वीकार करते हैं, लेकिन यह कम आंका जाना हमारा दर्द है।”  

पिछले दावों और मांगों की पृष्ठभूमि

यह पहली बार नहीं है जब मांझी ने सीटों की कम हिस्सेदारी पर ऐतराज़ जताया हो। उन्होंने पहले भी कहा था कि अगर 15-20 सीटें नहीं मिलीं, तो वे NDA के साथ समझौता न करके अकेले चुनाव लड़ेंगे।  

सहरसा में एक कार्यक्रम में, मांझी ने यह भी कहा था कि सिर्फ चार विधायक होने के कारण उनकी आवाज़ सुनी नहीं जाती — और इसलिए वे अधिक सीटें चाहते हैं ताकि उनकी बात “सुनने लायक” बने। 

इसके अलावा, उन्होंने गठबंधन को भरोसे का संकेत देते हुए कहा है कि वे “अपनी अंतिम सांस तक” मोदी-नीतीश के साथ रहेंगे, बशर्ते उन्हें सम्मानजनक हिस्सेदारी मिले। 

Bihar poll results: NDA confident of getting over 160 seats, HAM likely to  bag six, says Jitan Ram Manjhi - The Hindu
Bihar Polls: Jitan Ram Manjhi Says HAMS Didn’t Object to NDA’s ‘Kanjoosi’ in Seat Allocation

HAM-S का राजनीतिक मकसद

मांझी की यह मांग सिर्फ तत्काल चुनाव की जीत तक सीमित नहीं है। उनके पीछे एक बड़ी रणनीति है — पार्टियों को “पहचान और सम्मान” देना ताकि HAM-S का भविष्य मजबूत हो सके।

HAM-S की यह मांग इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले चुनावों में उनकी पार्टी की उपलब्धियाँ महत्वपूर्ण रही हैं और मांझी चाहते हैं कि उनकी पार्टी अकेले राजनीतिक दृष्टि से “साइडलाइन” न हो।

अंत में, मांझी ने यह भी स्वीकार किया है कि वे गठबंधन की निर्णय प्रक्रिया को मानते हैं और असहमत होने के बावजूद वे सार्वजनिक रूप से अपनी कुछ मद्देनज़र को प्रकट कर रहे हैं—यह दर्शाता है कि वे सिर्फ विरोध नहीं करना चाहते, बल्कि निर्णायक भूमिका में रहना चाहते हैं।

संभावित राजनीतिक परिणाम

मांझी की नाराज़गी NDA के अंदर तनाव बढ़ा सकती है। अगर उनका गुस्सा गहरा हुआ तो गठबंधन की अखंडता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। 

दूसरी ओर, HAM-S के लिए यह एक मौका भी हो सकता है — अगर वे अपने चुनावी दांव को सही तरीके से खेलें, तो 6 सीटों में जीतकर भी वे अपनी पार्टी की कानूनी और राजनीतिक पहचान मजबूत कर सकते हैं।

मांझी ने भविष्य में गठबंधन से दूरी बनाने की धमकी नहीं छोड़ी है: उनकी चेतावनी “हुक्म-कम-मूल्यांकन” का संकेत है, और यदि NDA उनसे सही हिस्सेदारी नहीं देता, तो वे विकल्प तलाश सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषण

मांझी की ये नाराज़गी सिर्फ सीटों की कमी पर नहीं, बल्कि राजनीतिक सम्मान की बात है। यह दिखाती है कि छोटे दल भी गठबंधन में अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

NDA के लिए यह एक जोखिम है: यदि सहयोगी नाराज़ हों, तो चुनावी रणनीति पेचिदा हो सकती है। लेकिन यदि गठबंधन संतुलन बनाए रखे, तो यह उन लोगों के लिए एक मजबूत संदेश हो सकता है कि NDA में सभी को हिस्सेदारी मिलेगी।

HAM-S अपनी मांगों को जोरदार तरीके से रख रहा है, लेकिन उन्होंने अभी तक सार्वजनिक तौर पर गठबंधन छोड़ने की पुरज़ोर घोषणा नहीं की। यह एक “सावधानीपूर्ण बयानी” रणनीति है — असंतोष ज़ाहिर करना, लेकिन पूरी विद्रोह की दिशा में कदम न बढ़ाना।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

Share: