श्री बड़पिपली बालाजी मंदिर विवाद शांतिपूर्वक सुलझा, वीरेंद्र जैन ने मांगी माफी
- bypari rathore
- 01 August, 2025

श्री बड़पिपली बालाजी मंदिर विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा, ओसवाल ग्रुप के वीरेंद्र जैन ने मांगी माफी, की पूजा-अर्चना
जयपुर, झोटवाड़ा (01 अगस्त 2025) — झोटवाड़ा औद्योगिक क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक श्री बड़पिपली बालाजी महाराज मंदिर से जुड़े हालिया विवाद ने अब शांतिपूर्ण मोड़ ले लिया है। मंदिर के महंत प्रेमेन्द्र जी महाराज और ओसवाल ग्रुप के प्रमुख श्री वीरेंद्र जैन के बीच आपसी संवाद के माध्यम से यह विवाद सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझ गया।
विवाद की पृष्ठभूमि:
बीते दिनों कुछ मुद्दों को लेकर मंदिर परिसर में ओसवाल ग्रुप के खिलाफ विरोधस्वरूप कुछ पोस्टर लगाए गए थे। यह पोस्टर कुछ श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुसार लगाए गए थे, लेकिन इससे समाज में एक गलत संदेश गया। इससे दोनों पक्षों के बीच कुछ असहज स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
वीरेंद्र जैन का क्षमा याचना एवं आस्था प्रदर्शन:
श्री वीरेंद्र जैन ने स्वयं मंदिर में आकर न केवल अपने व्यवहार के लिए खेद प्रकट किया, बल्कि श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना कर भगवान बड़पिपली बालाजी का आशीर्वाद भी लिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य कभी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था, और यदि किसी को उनके कार्यों से दुख पहुंचा है तो वे हृदय से क्षमाप्रार्थी हैं।
मंदिर प्रशासन की नैतिक पहल:

मंदिर समिति और महंत प्रेमेन्द्र जी महाराज ने भी अत्यंत विनम्रता और संयम का परिचय देते हुए विवाद को बढ़ावा देने वाले सभी पोस्टर स्वयं हटवाए। मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि ये पोस्टर भले ही श्रद्धालुओं द्वारा लगाए गए हों, लेकिन मंदिर की ओर से कभी भी किसी के प्रति नकारात्मक भावना नहीं रही है।
महंत प्रेमेन्द्र जी ने कहा,
"मंदिर एक आस्था और शांति का स्थान है। हम कभी नहीं चाहते कि यहां किसी को ठेस पहुंचे। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हर श्रद्धालु की भावना का सम्मान करें और आपसी मतभेद को संवाद द्वारा सुलझाएं।"
दोनों पक्षों की आपसी समझदारी:
इस पूरे घटनाक्रम में यह उल्लेखनीय रहा कि दोनों पक्षों ने किसी भी प्रकार की कटुता को बढ़ावा नहीं दिया, और आपसी बातचीत के माध्यम से समाधान की राह निकाली। मंदिर अब पूर्व की भांति श्रद्धालुओं के लिए खुला है, और सभी धार्मिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से चल रही हैं।
समाज को संदेश:
इस प्रकरण ने यह भी सिद्ध किया है कि जब दोनों पक्षों में समझदारी और संवाद की भावना होती है, तो कोई भी विवाद शांतिपूर्वक सुलझाया जा सकता है। मंदिर और उद्योग समूह दोनों ने समाज में सौहार्द, क्षमा और सहयोग का एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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जीणमाता मंदिर के पट...
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