मोकामा में फिर ‘बाहुबली’ का जलवा: जेल में बंद अनंत कुमार सिंह (जनता दल (यूनाइटेड)) भारी बढ़त के साथ आगे — 2025 बिहार विधानसभा चुनाव ट्रेंड्स
- byAman Prajapat
- 14 November, 2025
📜 मोकामा चुनाव 2025—अनंत सिंह की राजनीति का महाकाव्य
जेल की सलाखों से उठती सियासत, एक वोट की पुकार, और मोकामा की धरती का धड़कता सच
मोकामा…
एक ऐसा इलाका जहाँ राजनीति सिर्फ वोटों की गिनती नहीं होती—
ये इमोशन है, इतिहास है, जातीय समीकरणों का बवंडर है, और बाहुबली प्रभाव की वो हवा है जो दशकों से स्थिर भी है और तूफ़ानी भी।
2025 की सुबह जब गिनती शुरू हुई, तो पटना जिले का ये छोर फिर से सुर्खियों में आया।
जेल की कोठरी से एक नाम फिर उठा—अनंत कुमार सिंह,
जिसे लोग प्यार से “छोटे सरकार” कहते हैं, और डर—या सम्मान—जो भी नाम दे लो, वही उनका सियासी कद तय करता है।
🌾 मोकामा की मिट्टी और राजनीति—एक पुराना रिश्ता
मोकामा की राजनीति समझनी है?
तो बस एक बात याद रख—
यहाँ नेता सिर्फ नेता नहीं होते,
यहाँ नेता दबदबे का चेहरा होते हैं।
लोग विकास के मुद्दे भी देखते हैं, पर पहले उन्हें ये देखना होता है कि उनका नेता
उनकी तरफ खड़ा है या नहीं।
कई बार यहाँ वोट जाति के मुताबिक पड़ता है,
कई बार किसी पुराने एहसान के चलते,
और कई बार सीधे-सीधे उस प्रभाव के चलते जो सालों से जड़ें जमा चुका है।
और इस जमीन पर अनंत सिंह का कद ऐसा है कि भले वो जेल के अंदर हों,
पर लोग कहते हैं—
“हमरा आदमी तो उहे बा… हम त ओहके वोट देब।”
🔥 चुनाव 2025: हालात, तनाव और बड़ा मोड़
2025 का चुनाव मोकामा के लिए अलग था।
क्यों?
क्योंकि चुनाव से ठीक पहले दुलारचंद यादव की हत्या ने सबको हिला दिया।
पूरा इलाका दोबारा उसी बाहुबली राजनीति की तरफ खिंचता दिखा,
जिससे लोग निकलना चाहते थे—पर निकल नहीं पाए।
विरोधी दलों ने इसे मुद्दा बनाया,
जेडीयू के विरोधियों ने कहा—
“ये कैसा लोकतंत्र? ये कैसा नेता?”
लेकिन मोकामा की संस्कृति अलग है भाई—
यहाँ कभी-कभी इमोशन लॉजिक पर भारी पड़ जाता है।
🗳️ मतगणना शुरू: हवा किस ओर बहेगी?
सुबह 8 बजे जब पहली गिनती आई,
तो सबने देखा—
अनंत सिंह आगे हैं।
लोग चौंके?
कुछ हाँ,
कुछ नहीं।
क्योंकि इलाके की आवाज़ पहले से ही कह रही थी कि
“निकले न निकले, वोट तो अनंत के नाम पर ही पड़ी।”
दूसरी गिनती में बढ़त बढ़ी।
तीसरी में और।
17 राउंड तक पहुँचते-पहुंचते 17,000+ की लीड।
23 राउंड में 24,000+ की लीड।
फिर एक समय आया जब पूरा मीडिया बोल उठा—
“जेल में बंद JDU MLA अनंत सिंह प्रचंड बढ़त में।”
और जब आखिरी आंकड़े आए—
अनंत सिंह — 91,416 वोट
वीणा देवी (RJD) — 63,210 वोट
फर्क— 28,206 वोट
मतलब साफ—
मोकामा ने फिर वही चुना,
जिसने उनके दिल में जगह बनाई है, चाहे सलाखें हों या सड़कें।

💥 ये बढ़त इतनी भारी कैसे बन गई?
अब ये भी समझ—
✔ 1. बाहुबली प्रभाव की धरती
मोकामा में नेता वो है
जिसे लोग “हमारा आदमी” बोलते हैं—
चाहे वो किस जगह हो,
किस हाल में हो।
✔ 2. जातीय समीकरण का खेल
भुमिहार + कुछ स्थानीय वोट ब्लॉक्स
अनंत सिंह के साथ मजबूती से खड़े दिखे।
यादव-आधार वाली पिच पर RJD उतना स्कोर नहीं कर पाई जितना चाहिए था।
✔ 3. विरोधी की कमजोरी
वीणा देवी अपने आप में मजबूत कैंडिडेट थीं,
पर मोकामा की ज़मीन पर अनंत सिंह के ब्रांड के आगे
उनकी बात सुनाई ही नहीं दी।
✔ 4. गठबंधन का फायदा
जेडीयू-एनडीए गठबंधन का ग्राउंड-लेवल नेटवर्क मजबूत है।
इसने अनंत की अनुपस्थिति को कवर कर दिया।
✔ 5. डर और विश्वास दोनों
कुछ लोग अनंत सिंह को लेकर “fear appeal” की वजह से वोट देते हैं,
कुछ “leader वाले feel” की वजह से।
और ये दोनों जब एक हो जाएं—तो जीत पक्की।
🌙 मोकामा की रातें, कहानियाँ और राजनीति की ठंडी गर्मी
लोग कहते हैं—
मोकामा में राजनीति रात में तय होती है,
जहाँ चौराहों पर लोग खैरियत भी पूछते हैं
और नेता की तारीफ़ भी करते हैं।
यहाँ हर गली की अपनी कहानी है—
किसी बुज़ुर्ग के पास 90s की यादें,
किसी नौजवान के पास नई उम्मीदें,
और हर किसी के पास अनंत सिंह से जुड़ा एक किस्सा।
कई लोग कहते हैं—
“नेता जेल में हो या बाहर…
काम तो नेता का आदमी ही कराता है।”
ये बात चुनाव 2025 में बिल्कुल फिट बैठी।
🤔 अब आगे क्या?
अनंत सिंह की जीत सिर्फ जीत नहीं,
एक संदेश भी है—
कि मोकामा अभी भी “स्थानीय ताकत” को महत्व देता है
किसी भी बड़े मुद्दे से ज्यादा।
पर इससे चुनौतियाँ भी पैदा होती हैं—
• कानून-व्यवस्था पर सवाल
क्या बाहुबली राजनीति फिर बढ़ेगी?
क्या हाल की हिंसा और अपराध पर रोक लगेगी?
• विकास की दिशा
क्या अब मोकामा में सड़कें, स्कूल, अस्पताल जैसे मुद्दे आगे आएंगे?
या वही पुरानी राजनीति चलती रहेगी?
• विपक्ष का भविष्य
RJD यहाँ कैसे वापसी करेगी?
नया चेहरा लाएगी या रणनीति बदलेगी?
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